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स्टिंग प्रकरण: हरीश रावत को मोहलत,सीधे आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकेगी सीबीआई

नैनीताल, 07 जनवरी (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को स्टिंग ऑपरेशन प्रकरण में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत राहत देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया कि वह श्री रावत के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने से पहले न्यायालय की अनुमति लें।
श्री रावत ने इस मामले में सीबीआई जांच की वैद्यता के खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अदालत में इस पर सुनवाई हुई। इस मामले में श्री रावत की ओर से उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल आज न्यायालय में पेश हुए। उन्होंने सीबीआई जांच की वैद्यता पर फिर सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि प्रदेश मंत्रिमंडल ने उनके खिलाफ सीबीआई जांच की संस्तुति को वापस ले लिया था। ऐसे में सीबीआई जांच पूरी तरह से गलत है। वहीं सीबीआई की ओर से न्यायालय कोे बताया गया कि पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। जांच की प्रक्रिया चल रही है। श्री रावत की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि सीबीआई इस मामले में कभी भी आरोपपत्र दाखिल कर सकती है। ऐसे में सीबीआई जांच की वैद्यता को लेकर दायर याचिका का महत्व खत्म हो जायेगा। श्री सिब्बल की ओर से कहा गया कि वे इस मामले में बहस करने को तैयार हैं।
इसी दौरान सीबीआई की ओर से बहस के लिए समय की मांग की गयी। न्यायालय ने सीबीआई की मांग को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई के लिए दो मार्च की तिथि तय कर दी। न्यायालय ने हालांकि श्री रावत को थोड़ी राहत देते हुए सीबीआई को निर्देश दिया कि श्री रावत के लिए आरोपपत्र दाखिल करने से वह न्यायालय को सूचित करे।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में सीबीआई ने गत वर्ष 23 अक्टूबर को दिल्ली में श्री रावत के खिलाफ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 120बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
सं. संतोष
वार्ता
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