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शुल्क वृद्धि मामले में हिमालया कालेज के निदेशक तलब

नैनीताल,02 मार्च (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को प्रदेश के निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कालेजों के बढ़ा शुल्क छात्रों को वापस नहीं करने के मामले में सख्त रूख अख्तियार करते हुए हिमालया आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के निदेशक को मंगलवार को न्यायालय में पेश होने के निर्देश दिये हैं।
न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की अदालत ने देहरादून के मनीष कुमार और अन्य छात्रों की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए विगत 20 फरवरी को कालेज के प्रधानाचार्य को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये थे। कालेज के प्रधानाचार्य अनिल शर्मा इसी क्रम में आज अदालत में पेश हुए लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन नहीं करने के मामले में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये। इसके बाद अदालत ने कालेज के निदेशक को मंगलवार को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता विनाेद तिवारी ने बताया कि सरकार ने 14 अक्टूबर 2015 में एक शासनादेस जारी कर प्रदेश के निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कालेजों में निर्धारित 80 हजार रूपये के शुल्क को बढ़ाकर 2.15 लाख रूपये प्रतिवर्ष कर दिया था। सरकार के इस निर्णय को देहरादून के डोईवाला स्थित हिमालया आयुर्वेदि मेडिकल कालेज के छात्रों ने वर्ष 2017 में नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए 9 जुलाई 2018 को अंतिम आदेश जारी कर शासनादेश को निरस्त कर दिया और कालेज को छात्रों की बढ़ी हुई फीस वापस करने के निर्देश दिये। इसके बावजूद कालेज ने छात्रों की बढ़ी हुई शुल्क को वापस नहीं किया।
इसके बाद हिमालया आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के छात्रों की ओर से इस मामले में अवमानना याचिका दायर की गयी। न्यायालय ने पिछली सुनवाई पर हिमालया आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य अनिल कुमार झा को कारण बताओ नोटिस जारी किया और 2 मार्च को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिये थे। आज अनिल कुमार झा पेश हुए लेकिन अदालत उनके जवाब से सतुष्ट नजर नहीं आयी और कालेज के निदेशक को कल पेश होने के निर्देश दिये हैं।
सं राम
वार्ता
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