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कर्नाटक में पाई जाने वाली टिड्डी की प्रजाति नुकसान नहीं पहुंचाती

मंगलुरु, 05 (वार्ता) कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के विभिन्न हिस्सों में पाई जाने वाली टिड्डी की प्रजाति स्पोटेड कॉफी ग्रॉसहॉपर या एयुलार्चेस मिलिआरिस नुकसान नहीं पहुंचाती बल्कि यह एक लुप्तप्राय प्रजाति है।
जिले में कृषि विभाग ने कीट विज्ञानियों के माध्यम से पता लगाया कि बेलथांगडी और कडाबा के विभिन्न हिस्सों में झुंड में आने वाले टिड्डी एयुलार्चस मिलिआरिस हैं।
विभाग ने इस बात की पुष्टि के लिए बेलथांगडी के शिरलालु गांव से टिड्डी की इस प्रजाति को बेंगलुरु के सेंट्रल प्लांटेशन क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीसीआरआई), नेशनल ब्यूरो ऑफ एग्रीकल्चरल इंसेक्ट रिर्सोसेज (एनबीएआईआर) और गांधी कृषि विज्ञान केंद्र (जीकेवीके) में भेजा था।
इन संस्थानों से आई रिपोर्टों में इस बात की पुष्टि हुई कि जिले में पाई जाने वाली टिड्डी की प्रजाति एयुलार्चस मिलिआरिस है। कृषि विभाग की संयुक्त निदेशक एम सी सीता ने कहा कि स्पोटेड कॉफी ग्रॉसहॉपर या एयुलार्चेस मिलिआरिस दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट में पाए जाते हैं और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के अनुसार यह प्रजाति लुप्तप्राय है। टिड्डी की यह प्रजाति नुकसान नहीं पहुंचाती है।
प्रियंका जितेन्द्र
वार्ता
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