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बाण गंगा नदी में अवैध खनन पर फैसला जल्द

नैनीताल, 16 जून (वार्ता) गंगा की सहायक नदी बाण गंगा में तथाकथित अवैध खनन के मामले में उच्च न्यायालय जल्द निर्णय सुना सकता है। हरिद्वार के जिला प्रशासन की ओर से मंगलवार को उच्च न्यायालय में जवाब पेश कर दिया गया है।
हरिद्वार निवासी मोहम्मद साजिद की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रगंनाथन तथा न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ में सुनवाई की।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजयवीर पुंडीर ने कहा कि जिला प्रशासन ने न्यायालय को बताया कि कारोबारियों को स्थानीय स्तर पर अनुमति दी गयी है। उन्होंने कहा कि प्रतिवादियों के पास केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से खनन संबंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं है। केन्द्र सरकार की अनुमति के बिना खनन नहीं हो सकता है। साथ ही यह जमींदारी उन्मूलन अधिनियम, 1950 की धारा 132 का भी उल्लंघन है। श्री पुंडीर ने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के निर्णय (दीपक कुमार बनाम हरियाणा सरकार) का भी उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि मामले को सुनने के बाद अदालत इस मामले में जल्द फैसला सुना सकती है।
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि लक्सर तहसील स्थित निहंदपुर सुथारी गांव में बाण गंगा नदी में खनन कार्य चल रहा है। मत्स्य पालन के लिये तालाब बनाने के नाम पर खनन कार्य किया जा रहा है। खनन के लिये आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि खनन कारोबारियों के पास पर्यावरण संबंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र मौजूद नहीं है। खनन से निहंदपुर सुथारी गांव में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों की ओर से 29 मई 2020 को दिये गये प्रत्यावेदन पर जिलाधिकारी की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
सं राम
वार्ता
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