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बाणगंगा नदी में अवैध खनन के खिलाफ कार्यवाही करे सरकार

नैनीताल 19 जून (वार्ता) उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा की सहायक बाण गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन के मामले में उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सख्त रूख अख्तियार करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लायी जाये और इस मामले की प्रगति रिपोर्ट दस दिन के अंदर अदालत में पेश करें।
हरिद्वार निवासी मोहम्मद साजिद की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की अदालत में आज सुनवाई हुई। सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि बाण गंगा नदी में अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। जिला प्रशासन की ओर से एक संयुक्त टीम ने मौके की जांच की और पाया कि उपखनिज एकत्र के नाम पर अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। टीम ने तत्काल कार्रवाही कर अवैध खनन करने पर रोक लगा दी है।
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि लक्सर तहसील के निहंदपुर सुथारी गांव में बाण गंगा नदी के किनारे खनन कार्य किया जा रहा है। प्रतिवादियों की ओर से मत्स्य पालन के नाम पर तालाब की खुदाई करने के लिये उपखनिज एकत्र करने की अनुमति ली गयी थी और उसी की आड़ में अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है।
ग्राम प्रधान का पति खनन माफियाओं के साथ मिलकर अवैध खनन को अंजाम दे रहा है। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के बगैर खनन किया जा रहा है। पर्यावरण क्लियरेंस के बिना खनन करना गैरकानूनी है। यही नहीं यह उच्चतम न्यायालय के दीपक कुमार बनाम हरियाणा सरकार मामले में दिये गये निर्णय एवं जमींदारी उन्मूलन अधिनियम, 1950 की धारा 132 का भी उल्लंघन है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि खनन से गांव में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजयवीर पुंडीर ने बताया कि अदालत ने महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर के अवैध खनन संबंधी बयान को रिकार्ड कर लिया है और सरकार को आदेश दिया कि वह खनन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करे और मौके पर यह भी सुनिश्चित करे कि खनन कार्य न हो। साथ ही दस दिन में प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा गया है।
इस मामले में अगली सुनवाई 30 जून को होगी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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