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बिना श्रद्धालुओं के होगी रथयात्रा, पुरी में पूर्णबंदी लागू

भुवनेश्वर, 22 जून (वार्ता) ओडिशा के पुरी में विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा को उच्चतम न्यायालय की ओर से सशर्त मंजूरी दिये जाने के बाद प्रशासन ने तीर्थनगरी में सोमवार की रात से बुधवार तक पूरी तरह पूर्णबंदी लागू कर दी है। कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण सदियों से चली आ रही इस रथयात्रा में पहली बार कोई श्रद्धालु शामिल नहीं होगा।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) के फैलाव को रोकने के मद्देनजर न्यायालय ने बिना किसी श्रद्धालु के सदियों से चले आ रहे इस रथयात्रा को मंजूरी दी है। अदालत के फैसले को देखते हुए राज्य प्रशासन ने पुरी में आज रात नौ बजे से बुधवार को दो बजे तक पूर्णबंदी लागू कर दिया है।
राज्य के पुलिस महानिदेशक अभय ने पुरी के निवासियों से स्थानीय तौर पर मशहूर ‘बड़ा डंडा’ ग्रैंड रोड पर नहीं निकलने की अपील की है। ‘बड़ा डंडा’ रथयात्रा के आयोजन से जुड़ा तीन किलोमीटर लंबा वह मार्ग है जो श्री जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार से शुरू होकर सारधा बाली के पास गुंडिचा मंदिर तक जाता है।
प्रशासन पुरी के सभी प्रवेश मार्गाें को सील कर देगा और किसी को भी तीर्थनगरी में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी।
मुख्य सचिव आसित कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आगंतुकों को पुरी में प्रवेश से रोकने के लिए पूरे शहर में कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लागू रहेंगी। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि रथ यात्रा मंगलवार को बगैर भक्तों के सुचारु रूप से आयोजित की जाएगी तथा कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाएगा।”
शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन करते हुए रथ यात्रा के संचालन पर निगरानी के लिए राज्य सशस्त्र पुलिस बल के 50 प्लाटून तैनात किया जाएगा।
उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा में पुरी जगन्नाथ यात्रा को सोमवार को सशर्त हरी झंडी दे दी।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करने के बाद कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर रथयात्रा निकालेगी और सुरक्षा के उपाय करेगी।
आदेश सुनाते वक्त मुख्य न्यायाधीश का माइक बीच में ही बंद हो गया। बाद में उन्होंने कहा कि खंडपीठ के दोनों साथी न्यायाधीशों के आदेश की प्रति देख लेने के बाद संबंधित विस्तृत आदेश वेबसाइट पर अपलोड किया जायेगा।
न्यायमूर्ति बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को खतरे में देखकर श्रद्धालुओं को रोकने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा,“ हम सरकार को यह नहीं कह रहे कि उसे क्या करना चाहिए, लेकिन हम कुछ शर्तों के साथ इसकी (रथयात्रा की) अनुमति दे रहे हैं।”
शीर्ष अदालत की इसी खंडपीठ ने रथयात्रा पर रोक को लेकर 18 जून को अपना आदेश सुनाया था।
यदि न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो रथयात्रा को रोक दिया जा सकता है।
संजय.श्रवण
वार्ता
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