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मुनस्यारी में सेनर गाड में क्षतिग्रस्त पुल की जगह नये पुल का हुआ निर्माण

नैनीताल, 27 जून (वार्ता) भारत-चीन सीमा पर सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाला उत्तराखंड के मुनस्यारी में मिलम घाटी-मल्ला जौहर को जोड़ने वाला सेनर गाड पर बना वैली ब्रिज को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने फिर से तैयार कर लिया है। सीमा पर शनिवार से आवाजाही शुरू हो गयी है। पुल के बनने से प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
मुनस्यारी से सीमांत मिलम घाटी-मल्ला जौहार को जोड़ने वाला यह पुल गत 22 जून को ढह गया था। एक निजी कंपनी को सीमा पर सड़क निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। कंपनी की ओर से एक ट्राला में पोकलैंड मशीन को ले जाते वक्त अधिक भार वहन न कर पाने के कारण पुल धराशायी हो गया था। पुल के टूटने से ट्रक एवं पोकलैंड मशीन नदी में समा गये थे।
चालक एवं परिचालक भी इस दुर्घटना में घायल हो गये थे। पिथौरागढ़ जिला प्रशासन की ओर से इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया गया था और और घटना के अगले दिन आरोपी कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया था। जिलाधिकारी (डीएम) डाॅ. विजय जोगदंडे की ओर से बीआरओ को भी इस घटना के लिये हिदायत जारी की गयी थी।
पुल के टूटने से सीमा पर सेना व भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस की आवाजाही ठप हो गयी थी। यही नहीं मिलम घाटी के डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों का सम्पर्क भी
यह इलाका देश के बाकी हिस्से से कट गया था। सीमा पर रसद एवं अन्य साजो-सामान की आपूर्ति भी बाधित हो गयी थी। बीआरओ ने 23 जून से पुल के पुनर्निर्माण का काम शुरू कर दिया था और आज छठवें दिन वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी गयी है। डीएम जोगदंडे ने बताया कि पुल का निर्माण कार्य समय से पहले पूरा कर लिया गया है। आवाजाही शुरू हो गयी है।
गौरतलब है कि चीन से सटे लिपूलेख बार्डर की तरह ही भारत सरकार की ओर से मिलम घाटी में भी चीन सीमा तक सड़क का नेटवर्क खड़ा किया जा रहा है। मुनस्यारी से मिलम-मल्ला जौहार तक 64 किमी लंबी सड़क का निर्माण किया जा रहा है और इस सड़क को वर्ष 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस मार्ग को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की निगरानी में तैयार किया जा रहा है। लगभग 42 किमी मार्ग का निर्माण किया जा चुका है जबकि 22 किमी सड़क के निर्माण कार्य को बेहद तेजी से पूरा किया जा रहा है। इसी काम के लिये पोकलैंड मशीन को सीमा पर पहुंचाये जाने का काम किया जा रहा था।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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