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स्थायी परिसर के मामले मेें ठोस निर्णय करे केन्द्र- हाईकोर्ट

नैनीताल, 27 जुलाई (वार्ता) उत्तराखंड में राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के स्थायी परिसर के मामले में सोमवार को उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला करते हुए केन्द्र सरकार को चार माह के अंदर ठोस निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने यह निर्णय एनआईटी के पूर्व छात्र जसबीर सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका की अंतिम सुनवाई के बाद दिये हैं। न्यायालय ने कहा कि सरकार स्थायी परिसर पर फैसला करते समय छात्रों की सुरक्षा का ध्यान रखे। अदालत ने केन्द्र और राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि श्रीनगर स्थित अस्थायी परिसर में एक जुलाई से पहले सभी ढांचागत सुविधाओं का विकास करे। इसके अलावा हिट एंड रन मामले में गंभीर रूप से घायल एनआईटी की छात्रा नीलम मीणा को भी 25 लाख रूपये की धनराशि का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है। उसका अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज चल रहा है।
न्यायालय ने कहा कि सरकार तीन महीने के अंदर अस्थायी परिसर के लिये विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जारी करे और साथ ही साथ धनराशि भी जारी करे ताकि अस्थायी परिसर में खराब ढांचागत सुविधाओं का विकास हो सके।
न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकार पर गंभीर टिप्पणियां करते हुए कहा कि एक दशक बीतने के बावजूद केन्द्र सरकार एनआईटी जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान को लेकर गंभीर नहीं है और यही कारण है कि स्थायी परिसर अस्त्वित्व में नहीं आ पाया है। उत्तराखंड आपदा प्रभावित क्षेत्र है। यहां परियोजना बनाते वक्त भूकंप, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
न्यायालय ने इस पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि केन्द्र सरकार सुमाड़ी में एनआईटी का निर्माण करना चाहती थी और इसका निर्णय उसने भारतीय पुरातत्व विभाग की टीम के सर्वे से पहले ले लिया था। अदालत ने इसे गंभीर माना कि एनआईटी के श्रीनगर स्थित अस्थायी परिसर में खराब बुनियादी सुविधाओं के चलते संकाय अध्यक्ष छोड़कर जा रहे हैं। प्रोफेसर, एसोसिएट और सहायक प्रोफेसर की भारी कमी है। यही नहीं इस संस्थान में वर्ष 2018 और 2019 में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भी कमी है।
याचिकाकर्ता न्यायालय को बताया कि श्रीनगर स्थित अस्थायी परिसर में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। श्रीनगर स्थित पाॅलिटेक्निक कालेज में एनआईटी कालेज संचालित हो रहा है। परिसर के बीच में राजमार्ग स्थित है और छात्रों को राजमार्ग पार कर परिसर में एक स्थान से दूसरे स्थान जाना पड़ता है। सन् 2013 में आयी आपदा से परिसर को काफी नुकसान हुआ है। इससे यहां पढ़ रहे छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही अदालत ने याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया।
सं राम
वार्ता
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