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अल्मोड़ा का गोल्ज्यू मंदिर विवाद: हाईकोर्ट ने पर्यटन सचिव, डीएम से मांगा जवाब

नैनीताल, 06 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड के अल्मोड़ा स्थित प्रसिद्ध गोल्ज्यू मंदिर का प्रबंधन का विवाद उच्च न्यायालय पहुंच गया है। मंदिर के संस्थापक परिवार की ओर से मामले को चुनौती दी गयी है। अदालत ने पर्यटन सचिव एवं जिलाधिकारी अल्मोड़ा से इस मामले में दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
मामले को मंदिर के संस्थापक परिवार के सदस्य संध्या पंत की ओर से चुनौती दी गयी है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की युगलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि जिला प्रशासन की ओर से उच्च न्यायालय के 04 मार्च 2020 के आदेश के अनुपालन में मंदिर प्रबंधन कमेटी का गठन किया गया है लेकिन कमेटी मंदिर के धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप कर रही है। यह जानकारी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने दी है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि उनके परिवार की ओर से 1919 में गोल्ज्यू मंदिर की स्थापना की गयी थी। तभी से उनका परिवार मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान एवं प्रबंधन करता आया है। याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया है कि मंदिर कमेटी धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप कर रही है। हाल ही में हुई कमेटी की बैठक में मदिर में नये पुजारी की नियुक्ति की बात कही गयी है।
याचिकाकर्ता की ओर से कमेटी को भंग करने की मांग करते हुए यह भी कहा गया है कि कमेटी निष्पक्ष नहीं है और इसमें जनता का प्रतिधित्व नहीं है। कमेटी के सभी पदों पर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति की गयी है। कमेटी के अध्यक्ष जिलाधिकारी अल्मोड़ा, उपाध्यक्ष उपजिलाधिकारी सदर, सचिव तहसीलदार अल्मोड़ा एवं कोषाध्यक्ष कोषागार अधिकारी और सदस्य पद पर जिला पर्यटन अधिकारी को नामित किया गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया है कि जनहित याचिका में उनका पक्ष नहीं सुना गया है और उन्होंने याचिका की समीक्षा के लिये याचिका दायर की है। अदालत ने पर्यटन सचिव और जिलाधिकारी से मंदिर में पुजारी की नियुक्ति के मामले में जवाब देने को कहा है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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