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अवैध धार्मिक ढांचों को हटाने मामले में टली सुनवाई

नैनीताल 08 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थलों से निर्मित्त अवैध धार्मिक संरचनाओं (ढांचों) को हटाने के मामले में नया मोड़ आ गया है। सरकार की ओर से गुरुवार को उच्च न्यायालय को बताया गया कि हरिद्वार के एक पक्षकार की ओर से इस मामले में उच्चतम न्यायालय में वाद दायर किया गया है। इसके बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में तीन सप्ताह तक सुनवाई टाल दी।
इससे पहले सरकार की ओर से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ की अगुवाई वाली पीठ को बताया गया कि सभी जनपदों से सार्वजनिक स्थानों में बनाये गये धार्मिक ढांचों को हटा लिया गया है। सिर्फ हरिद्वार में सरकारी भूमि पर निर्मित्त चार बड़े मंदिरों (अखाड़ों) को नहीं हटाया गया है। सरकार ने चारों को हटाने के लिये अदालत से महाकुंभ तक समय की मांग की गयी।
सरकार के इस अनुरोध पर अदालत में गत बुधवार को सुनवाई होनी थी लेकिन उच्च न्यायालय के संज्ञान में आया कि हरिद्वार में जिन ढांचों को हटाया जाना शेष है उनमें से किसी एक पक्षकार ने उच्चतम न्यायालय में वाद दायर किया है। इसके बाद अदालत ने सरकार से पूछा कि आज वस्तुस्थिति से अवगत करायें। आज महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर अदालत में पेश हुए और उन्होंने इसकी पुष्टि की। इसके बाद अदालत ने इस मामले में तीन सप्ताह के लिये सुनवाई टाल दी।
सरकार की ओर से पेश अनुपालन रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी जनपदों से अवैध ढांचों को हटा लिया गया है। हरिद्वार जिले में कुल 40 अवैध धार्मिक स्थल चिन्हित किये गये थे और इनमें से 36 को हटा लिया गया है। ये सभी सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग की भूमि पर अवैध ढंग से निर्मित्त थे।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि महंत राजेन्द्र दास निर्मोही अखाड़ा, निर्माणी आदि अखाड़ा, भैयादास दिगंबर अखाड़ा व निरंजनी अखाड़ा नहीं हटाये जा सके हैं। ये वैरागी कैम्प में सिंचाई विभाग की भूमि पर निर्मित्त हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निर्मोही अखाड़ा 182.25 वर्गमीटर, निर्माणी अखाड़ा 273 वर्गमीटर, दिगंबर अखाड़ा 16.81 व निरंजनी अखाड़ा 37.44 वर्गमीटर भूमि में निर्मित्त हैं। ये सभी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नियंत्रण में हैं और इनको हटाने से कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सरकार की ओर से महाकुंभ को देखते हुए इन्हें हटाने के लिये अदालत से 31 मई 2021 तक का समय मांगा गया है।
गौरतलब है कि न्यायालय ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इसी साल चार मार्च 2020 को सरकार को वर्ष 2009 के बाद सार्वजनिक स्थलों पर अवैध ढंग से बनाये गये सभी धार्मिक संरचनाओं को 23 मार्च 2020 तक हटाने के निर्देश दिये थे और इसकी अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा था।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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