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उत्तराखंड में वन गुर्जरों की समस्याओं के निराकरण के लिये उच्चस्तरीय कमेटी का गठन

नैनीताल, 02 नवम्बर (वार्ता) उत्तराखंड में वन गुर्जरों के पुनर्वास एवं विस्थापन जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिये सरकार की ओर से एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। प्रमुख वन संरक्षक की अगुवाई में गठित कमेटी को छह माह के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करना है।
सरकार की ओर से यह जानकारी उच्च न्यायालय को दी गयी है। दरअसल उच्च न्यायालय की ओर से विगत 17 अगस्त, 2020 को फरीदाबाद की गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) थिंक एक्ट राइज फाउंडेशन (टीएआरएफ) और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं की सुनवाई के बाद वनगुर्जरों की समस्याओं को सुलझाने एवं उन्हें विधिक अधिकार दिलाने के लिये सरकार को एक कमेटी के गठन का प्रस्ताव दिया गया था।
इसी के जवाब में सरकार की ओर से उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। फाउंडेशन के सचिव अर्जुन कसाना की ओर से बताया गया है कि कमेटी का अध्यक्ष प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) को बनाया गया है। कमेटी में चार अन्य सदस्यों में प्रदेश के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक (सदस्य सचिव), भारतीय वन्य जीव संस्थान एवं डब्ल्यू डब्ल्यू एफ द्वारा नामित प्रतिनिधि कमेटी के सदस्य होंगे। कमेटी छह बिन्दुओं पर आगामी छह माह के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
कमेटी वन गुर्जरों के विस्थापन एवं पुनर्वास के अलावा उन्हें विधिक अधिकार दिलाने, वन गुर्जरों के खिलाफ की जा रही वैधानिक कार्यवाही, उनके खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेेने, वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत उन्हें अधिकार देने, विस्थापन प्रक्रिया के तहत उन्हें मुआवजा देने, वन गुर्जरों के परंपरागत वन स्थानों एवं वन भूमि को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करना और वन गुर्जरों के खिलाफ की गयी कार्रवाही की जांच कर संबद्ध अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाही सुनिश्चित करना शामिल है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार की ओर से भी पिछले साल 07 अगस्त 2019 को वनगुर्जरों के विस्थापन के लिये एक नीति जारी की गयी है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि राजाजी टाइगर रिजर्व से कतिपय वन गुर्जरों को पुनर्वासित किया जा चुका है जबकि कार्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला एवं झिरना रेजों में अध्यासित 57 वन गुर्जर परिवारों के विस्थापन की कार्यवाही विचाराधीन है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि सरकार वनगूर्जरों का उचित पुनर्वास किये बिना उन्हें हटा रही। वन गुर्जरों का इतिहास 150 साल पुराना है। उनका प्रदेश के वनों के संरक्षण में अहम योगदान है। सरकार उन्हें उनके परंपरागत हकहुकूकों से वंचित कर रही है। जो कि गलत है।
यहां यह भी बता दें कि उच्चतम न्यायालय की ओर से कार्बेट टाइगर रिजर्व से हटाये जा रहे वन गुर्जरों को राहत देते हुए 2018 में यथास्थिति बनाने के आदेश दिये गये हैं। बताया जाता है कि यहां वनगुर्जरों को हटाने की प्रक्रिया 2012 से चल रही है। सरकार का दावा है कि 180 परिवारों का विस्थापन किया जा चुका है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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