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फर्जी शिक्षक प्रकरण: हाईकोर्ट का रूख और सख्त

नैनीताल 05 नवंबर (वार्ता) फर्जी शिक्षक प्रकरण उत्तराखंड सरकार की गले की फांस बन गयी है। उच्च न्यायालय का रूख गुरुवार को इस मामले में और सख्त हो गया है। सरकार की ओर से शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच के लिये डेढ़ से तीन साल का समय मांगा गया है लेकिन उच्च न्यायालय सरकार को इतना समय देने के पक्ष में नहीं है।
अदालत इस मामले की जांच अब किसी स्वतंत्र और निजी एजेंसी से कराने के पक्ष में दिखायी दे रही है। इस प्रकरण में कल शुक्रवार को भी सुनवाई होगी और अदालत इस दौरान अदालत में शिक्षा विभाग के जिम्मेदारी अधिकारी को पेश होने के निर्देश दिये गये हैं। कल अदालत इस मामले में अंतिम निर्णय ले सकती है। इस प्रकरण में अदालत का रूख शुरू से सख्त रहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ की अगुवाई वाली पीठ ने सरकार को इसी साल 30 सितंबर को राज्य में तैनात सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच तय समय अवधि में पूरी करने के निर्देश दिये थे।
सरकार की ओर से कहा गया कि प्राइमरी शिक्षा के अंतर्गत प्रदेश में प्रधानाचार्य, सहायक अध्यापक व 766 शिक्षक मित्रों को मिलाकर कुल 33065 शिक्षक तैनात हैं। सभी शिक्षकों की हाईस्कूल, इंटरमीडिएट व स्नातक के साथ साथ बीएड, बीटीसी, डीएलएड, सीपीएड व उर्दू शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करानी होगी। इस प्रकार कुल 132260 दस्तावेजों की जांच करानी होगी। सरकार की ओर से कहा गया कि दस हजार से अधिक दस्तावेजों की जांच हो चुकी है। इस प्रक्रिया में डेढ़ से तीन साल का समय लगेगा।
आज अदालत ने सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार इस मामले में ठोस कार्यवाही से बच रही है। इसलिये अदालत इस प्रकरण को निजी एजेंसी के सुदुर्द करने के पक्ष में है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता त्रिलोचन पांडे ने बताया कि कल गुरूवार को शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को अदालत में पेश होने के निदेश जारी किये गये हैं। अब देखना है कि अदालत इस प्रकरण में क्या निर्णय लेती है।
इससे पहले अदालत ने तीन सप्ताह में सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच पूरी करने के निर्देश सरकार को दिये थे और प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा था लेकिन सरकार इस प्रकरण में कुछ खास नहीं कर पायी।
यहां यह भी बता दें कि सरकार अदालत को बता चुकी है कि अभी तक की जांच में प्रदेश में 87 फर्जी शिक्षकों के मामले सामने आ चुके हैं। ये सभी फर्जी दस्तावेजों के बल पर शिक्षक की नौकरी हथिया चुके हैं। इनमें सरकार की ओर से 61 के खिलाफ कार्यवाही की जा चुकी है। सरकार की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि तीन शिक्षकों के दस्तावेज एसआईटी जांच में फर्जी पाये गये थे लेकिन विभागीय जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट दे दी गयी।
मामले को हल्द्वानी के दमुवाढूंगा स्थित स्टूडेंट गार्जियन वेलफेयर कमेटी की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार इस पूरे प्रकरण में लापरवाही बरत रही है।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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