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हाईकोर्ट की सख्ती पर झुका रोडवेज प्रबंधन, पांच करोड़ रुपये लौटने को तैयार

नैनीताल 24 नवंबर (वार्ता) उच्च न्यायालय की सख्ती के आगे आखिरकार मंगलवार को उत्तराखंड रोडवेज प्रबंधन को झुकना पड़ा और रोडवेज प्रबंधन को आनन फानन में समिति के पांच करोड़ रुपए लौटाने की हामी भरनी पड़ी।
उत्तराखंड रोडवेज की ओर से यह वचन राज्य रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आज कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ की अगुवाई वाली युगल पीठ में दिया गया। रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से आरोप लगाया गया था कि रोडवेज प्रबंधन पिछले चार महीने से कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं कर रहा है। साथ ही कर्मचारियों के कल्याण के लिए गठित कर्मचारी सहकारी समिति के पांच करोड रुपये पर भी कुंडली मारकर बैठा है।
इसके बाद अदालत ने मामले को बेहद गंभीरता से लिया और सोमवार को रोडवेज प्रबंधन को आदेश दिया कि 24 घंटे के अंदर बताएं कि उनके अधिकारियों के पास कितने सरकारी वाहन (कारें) उपलब्ध हैं। रोडवेज की ओर से आज अदालत को बताया गया कि 15 कारें और 280 बसें उपलब्ध हैं। इसके बाद अदालत ने सुनवाई के लिए दोपहर बाद का समय तय करते हुए रोडवेज को पुनः निर्देश दिये कि वह वाहनों की सूची उनके नंबर सहित उपलब्ध कराएं।
इसके बाद रोडवेज प्रबंधन तत्काल हरकत में आ गया और उसकी ओर से अदालत को बताया गया कि समिति के पांच करोड़ रुपए को पांच महीने के अंदर लौटायेगा। जबकि एक करोड़ रुपए का भुगतान तत्काल कर दिया जाएगा और बाकी राशि में एक-एक करोड़ की चार किस्तें हर महीने दी जाएगी। रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से सहमति देने के बाद मामले में आखिरकार विराम लगा और अदालत ने सुनवाई के लिए तीन दिसंबर की तिथि मुकर्र की है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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