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जल जीवन मिशन मामले में केन्द्र,राज्य से जवाब तलब

नैनीताल 28 दिसंबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जल जीवन मिशन कार्यक्रम के तहत ‘हर घर में नल और हर घर में जल’ योजना के क्रियान्वयन में अवधारणा के विपरीत गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) को किनारे लगाने के मामले में केन्द्र और राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।
अल्मोड़ा की लोक चेतना विकास समिति की ओर से इस मामले को चुनौती दी गयी है और सोमवार को न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ में इस मामले पर सुनवाई हुई।
समिति के सचिव आरएस बिष्ट की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि मिशन की अवधारणा के मुताबिक प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन जिला क्रियान्वयन एजेंसी के माध्यम से तीन चरणों में किया जाना था और इन एजेंसियों के लिये एनजीओ चयन किया जाना था।
याचिका के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से इस कार्यक्रम के तहत एक आदेश जारी कर तीन बार में 61 एनजीओ का चयन कर लिया गया और इनमें से कुछ को योजना के तहत प्रथम चरण का काम सौंप दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि इसी बीच सरकार की ओर से चार नवम्बर और छह नवम्बर, 2020 को अलग अलग आदेश जारी कर एनजीओ को इस मिशन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सरकार इस कार्यक्रम को ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से क्रियान्वित करवाना चाहती है।
सरकार के इस कदम को प्रभावित एनजीओ लोक चेतना विकास समिति और अन्य की ओर से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पीसी तिवारी और स्निग्धा तिवारी ने बताया कि अदालत ने इस मामले में केन्द्र व राज्य सरकार से 15 जनवरी से पहले जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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