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शेरवुड कालेज विवाद:यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश

नैनीताल 29 जनवरी (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल के बहु प्रतिष्ठित शेरवुड कॉलेज के स्वामित्व विवाद में सभी पक्षकारों से निचली अदालत का फैसला आने तक यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश दिए हैं।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ में हुई। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
मामले के अनुसार शेरवुड डायोसेस कॉलेज सोसायटी के चेयरमैन, डायोसेस ऑफ आगरा के बिशप और चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के चेयरमैन डा. पी पी हाबिल और चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के पॉवर ऑफ अटॉर्नी धारक आशीष पॉल हाबिल ने उच्च न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर 25 मई 2018 के आदेश को संशोधित करने का अनुरोध किया था।
सभी पक्षों का कहना था कि इस मामले में सिविल जज-सीनियर डिवीजन नैनीताल की अदालत में वाद लंबित है और कॉलेज प्रबंधन का विवाद अभी भी विचाराधीन है । जिसमें शेरवुड डायोसिस सोसाइटी कॉलेज के नाम से डिप्टी रजिस्ट्रार चिट फंड कार्यालय में पंजीयन का विवाद भी शामिल है । इस मामले में डिप्टी रजिस्ट्रार चिट फंड हल्द्वानी के अलावा अमनदीप संधू जिन्हें याचिका में कॉलेज का प्रिंसपल के बजाय शेरवुड कॉलेज निवासी बताया गया है को भी प्रतिवादी बनाया गया है ।
अन्य प्रतिवादियों में शेरवुड कॉलेज सोसाइटी नैनीताल जिसके सचिव अमनदीप संधू हैं और डायोसिस ऑफ लखनऊ, चर्च ऑफ इंडिया, पाकिस्तान, वर्मा, सीलोन के चेयरमेन के अलावा लखनऊ के विजय मोंटेण्डे शामिल हैं। इन सभी पक्षकारों का शेरवुड कॉलेज के स्वामित्व पर दावा है और यह वाद निचली अदालत में लंबित है। उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में यथास्थिति बनाये रखने का निर्देश देने से फिलहाल शेरवुड कॉलेज के प्रिंसिपल अमनदीप संधू को राहत मिली है ।
उल्लेखनीय है कि इसी मामले में उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें उच्च न्यायालय ने आगरा डायोसिस की ओर से नियुक्त शेरवुड कॉलेज के अंतरिम प्रिंसपल पीटर इम्युवनुवल को पुलिस सुरक्षा देने के निर्देश दिए थे लेकिन इस मामले में अमनदीप संधू को पक्षकार नहीं बनाये जाने के चलते उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के निर्देश दिये थे।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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