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उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन तंत्र को दुरुस्त किया गया

देहरादून, 10 फरवरी (वार्ता) उत्तराखंड के केदारघाटी के प्रलयकारी हादसे से सबक लेते हुए बीते आठ वर्षों में राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र को काफी हद तक दुरुस्त कर लिया गया है। राहत और बचाव के लिए रिस्पॉस टाइम में सुधार किया गया। सिस्टम में संवेदनशीलता भी बढ़ी है।
हाल ही में हिमस्खलन से नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में आई आपदा में इसकी बानगी देखने को मिली है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया कि 2013 में केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा के प्रभावों से निपटने के लिए अगर उत्तराखंड सरकार की तैयारियां पुख्ता होती और राहत एवं बचाव अभियान वक्त रहते हो पाता, तो इस आपदा में कई और जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।
उस वक्त कांग्रेस सरकार पर आपदा से प्रभावी रूप से निपटने में विफलता के आरोप लगे थे। रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लगभग निष्क्रिय था और जून, 2013 की आपदा से पूर्व राज्य आपदा प्रबंधन योजना को लागू करने में सक्षम नहीं था।
इस रिपोर्ट के अनुसार 16 जून, 2013 की देर रात्रि हुए हादसे के बाद बचाव अभियान बहुत देरी से, 18 जून को शुरू किया गया। लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए हैलीपैड उपलब्ध नहीं थे और विभिन्न विभागों में आपसी समन्वय की जबरदस्त कमी रही। यहां कैग की रिपोर्ट का जिक्र इसलिए किया गया ताकि उस वक्त की खामियां स्मृति पटल पर आ सकें।
राज्य में सात फरवरी को चमोली जिले में हिमस्खलन से नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में आपदा आई है जिसमें करोड़ों की दो जल विद्युत परियोजनाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गई हैं और 24 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। लापता लोगों की संख्या तकरीबन 200 है।
केदारनाथ के बाद यह पहली ऐसी आपदा है जिसमें इतने बड़े पैमाने पर क्षति हुई है। इतना जरूर है कि यह जलप्रलय दिन के उजाले में आया जिसकी वजह से इसका प्रभाव कम रहा। लेकिन इसके बहाने आपदा प्रबंधन को लेकर सरकार
की व्यवस्थाएं जरूर परखीं गईं। सूचना मिलते ही एसडीआरएफ, आईटीबीपी रेस्पॉस टाइम बहुत कम लेते हुए मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू कर दिया।
डीएम, एसएसपी समेत जिले के तमाम आला अधिकारी जबरदस्त समन्वय के साथ मौके पर पहुंच गए। जरूरी उपकरणों से लेकर रसद तक समय पर प्रभावितों तक पहुंचा दी गई। हर संभव सहायता के लिए जिले से राजधानी दून तक कड़ी
बनती चली गई। केन्द्र सरकार भी लगातार देहरादून से तार जुड़े हुए है।
डीजीपी समेत तमाम आला अफसर आपदास्थल पर डेरा डाले हुए हैं और तो और सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत अपने कार्यक्रम रद्द करके घटनास्थल की ओर रवाना हो गए। इस कवायद का पूरा लाभ आपदा प्रभावितों को मिल रहा है। अबकी बार सिस्टम दुरुस्त दिखा और संवेदनशील भी।
सं. उप्रेती
वार्ता
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