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नयी झील की जानकारी जुटाने में लगे वैज्ञानिक

देहरादून 12 फरवरी (वार्ता) उत्तराखंड के जोशीमठ के रैणी गांव में आपदा आने की असल वजह को भी ढूढने में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों को रैणी गांव के समीप ही एक झील दिखाई दी है जिसके बाद से अब वैज्ञानिक इसकी जानकारी प्राप्त करने में जुट गए हैं।
हालांकि यह झील कितना बड़ा है या कितना खतरनाक हो सकता है इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार इस झील को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ,लिहाजा इस झील की जानकारी लगातार जुटाई जा रही है।
इस झील के बारे में जानकारी देते हुए वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ कालाचंद साईं ने बताया कि वाडिया की पांच सदस्यों की टीम वर्तमान समय में रैणी गांव में मौजूद है। जो एरियल सर्वे कर रहे हैं, हालांकि एरिया सर्वे के दौरान इस बात की जानकारी मिली कि ऋषि गंगा में एक झील बना हुआ है। अभी फिलहाल यह अनुमान जताई जा रही है कि यह हाल ही में झील तैयार हुआ है। लेकिन अभी फिलहाल इस पर सर्वे किया जा रहा है कि यह झील पहले बना था या फिर हाल ही में बनकर तैयार हुआ है।
यही नहीं, रैणी गांव के समीप बना इस झील के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है कि यह कब बना और इसमें कितना पानी मौजूद है। जिसके बाद ही इस लेख की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि यह लेख खतरनाक है या नहीं?
डायरेक्टर कालाचंद साईं ने बताया कि अभी यह स्थिति भी अस्पष्ट नहीं हो पाई है कि यह झील कैसे बना क्योंकि अभी इस बात पर चर्चा चल रहा है कि जब आपदा आई थी तो उस दौरान यह झील बनकर तैयार हुआ हो, यही नहीं, यह भी हो सकता है कि यह झील पहले से मौजूद हो और धीरे-धीरे इसका पानी बढ़ रहा हो।
साथ ही श्री साईं ने बताया कि अगर यह झील पुराना हुआ तो इतनी आसानी से यह टूटने वाला नहीं है। लेकिन अगर यह नया झील बना होगा तो इसके टूटने के आसार हैं। हालांकि, इसकी वास्तविक स्थिति अध्ययन के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। साथ ही बताया कि यह जो झील देखा गया है, वह ऋषि गंगा वैली में ही है।
सं.संजय
वार्ता
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