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उत्तराखंड में एसडीआरएफ ने मैन्युअली अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया

देहरादून, 13 फरवरी (वार्ता) उत्तराखंड के चमोली जनपद में ग्लेशियर टूटने के बाद हुई जल प्रलय और प्राकृतिक रूप से ऋषि गंगा के मुहाने पर बनी झील के पानी से चाहें फिलहाल कोई खतरा न हो लेकिन सतर्क राज्य आपदा प्रतिवादन बल उत्तराखंड (एसडीआरएफ) किसी तरह का जोखिम मोल लेने के मूड में नहीं है तथा पैंग, तपोवन एवं रैणी गांवों में एक-एक टीम तैनात की गई है। दूरबीन, सैटेलाइट फोन और पीए सिस्टम से लैस यह टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देंगी।
भारतीय पुलिस संवर्ग (आईपीएस) एसडीआरएफ की डीआईजी और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) ने बताया कि उनकी टीमें लगातार सैटेलाइट फोन के माध्यम से सम्पर्क में है। जहां झील बनी है, इससे फिलहाल कोई खतरा नही है। यदि किसी भी प्रकार से जल स्तर बढ़ता है तो ये अर्ली वार्निंग की टीमें तत्काल संभावित प्रभावित क्षेत्र को इसकी सूचना देंगी। ऐसी स्थिति में इस अलर्ट सिस्टम से नदी के आसपास के इलाकों को पांच से सात मिनट में तुरंत खाली कराया जा सकता है।
डीआईजी ने बताया कि एसडीआरएफ के दलों ने रैणी गाँव से ऊपर के गांव के प्रधानों से भी समन्वय स्थापित किया है। जल्द ही दो तीन दिनों में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगा दिया जाएगा जिससे पानी का स्तर खतरे के निशान पर पहुंचने पर आम जनमानस को सायरन के बजने से खतरे की सूचना मिल जाएगी।
सं टंडन
वार्ता
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