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त्रासदी में बनी झील क्षेत्र में लगा क्युडीए सिस्टम

चमोली/देहरादून 21 फरवरी(वार्ता) उत्तराखंड के चमोली जिले में गत सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने से बनी झील के क्षेत्र में किसी भी आकस्मिक प्राकृतिक परिस्थिति में सजग करने के उदद्देश्य से क्युडीए सिस्टम रविवार को पहुंचा दिया गया।
राज्य के उच्च अधिकारियों के निर्देश पर राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की उप महानिरीक्षक (डीआईजी) रिद्विम अग्रवाल के नेतृत्व में क्युडीए सिस्टम हवाई मार्ग से सुरक्षित रेणी गाँव से ऊपर हिमालयी क्षेत्र में स्थित जल भराव क्षेत्र में भेजा गया। कुछ माह पूर्व ही मुख्यमंत्री ने सचिवालय स्थित आपदा नियंत्रण केंद्र से इस सिस्टम का शुभारंभ किया था। तब उन्होंने मलारी, गूंजी और त्यूणी जैसे दुरस्त क्षेत्रो के ग्रामीणों से क्युडीए से वीडियो कॉल कर वार्तालाप किया था। जानने की बात है कि झील क्षेत्र में 10 वैज्ञानिक और एसडीआरएफ के सात कर्मियों का एक दल झील में कार्य कर रहा है। जिनका मूल उद्देश्य झील से उत्पन्न खतरे का आकलन करना तथा उक्त आकलन पश्चात इसका निराकरण के लिए तकनीकी परामर्श दिया जाना है।
श्रीमती अग्रवाल के अनुसार, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में संचार की असुविधा के कारण यह सिस्टम भेजा गया है। यह एक प्रकार से नो सिंगल एरिया से संचार स्थापित करने की नवीनतम टेक्नोलॉजी है। इस प्रणाली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डेटा को भेजने के लिए 1.2 मीटर क्युडीए एंटीना टर्मिनलों और 1.2 मीटर स्टेटिक एंटीना टर्मिनल का उपयोग होता है। उन्होंने बताया कि यह विभिन्न वीसैट टर्मिनल के साथ उपग्रह आधारित संचार स्थापित करने में मदद करता हैं। इससे वॉयस और वीडियो संचार को दूरस्थ से दूरस्थ वीसैट टर्मिनलों तक संप्रेषित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि 1.2 मीटर क्यूडीए वीएसएटी एक पोर्टेबल सिस्टम है जो अलग-अलग रिमोट एरिया में तुरंत स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि साधारण तोर पर यह टेक्नोलॉजी किसी ऐसे क्षेत्र जहां किसी प्रकार का संचार का साधन नही है पर उपयोग करने पर तत्काल सेटेलाइट से सम्पर्क स्थापित कर लाइव ऑडियो ओर वीडियो कॉल की सुविधा देता है।
सं.संजय
वार्ता
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