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‘महाकुंभ में कोरोना की जांच बढ़ाकर 50000 प्रतिदिन करें’

नैनीताल 31 मार्च (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने देश में कोरोना के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए सरकार को महाकुंभ के मद्देनजर प्रतिदिन कोरोना जांच की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने कहा है कि सरकार महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की प्रतिदिन 50 हजार जांच करना सुनिश्चित करे।
इसके साथ ही अदालत ने सरकार को पुनः केन्द्र सरकार की ओर से जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने कहा है कि घाटों, अस्पतालों, मेला क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाये जाये और मेला अधिकारी दीपक रावत इस पूरे मामले की एक विस्तृत रिपोर्ट 15 अप्रैल तक अदालत में पेश करे।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की अगुवाई वाली युगलपीठ में कोरोना महामारी को लेकर दायर विभिन्न जनहित याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई। मुख्य सचिव ओमप्रकाश और याचिकाकर्ता सचिदानंद डबराल के अधिवक्ता शिव भट्ट की ओर से महाकुंभ में व्यवस्थाओं को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश की गयी।
रिपोर्ट में कहा गया कि मेला क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। कुछ घाटों में निर्माण कार्य पूरे नहीं हुए हैं। पीने के पानी और सफाई की व्यवस्था नहीं है। सीसीटीवी कैमरे संचालित नहीं किये गये हैं। यहां तक कि अस्पतालों की हालत खराब है। चिकित्सक व अन्य सुविधायें पूरे नहीं हैं। कोविड महामारी की जांच को लेकर भी रिपोर्ट मेें सवाल खड़े किये गये हैं।
रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि ऋषिकेश स्थित एसपीएस अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। मरीजों को बेड सीट तक मुहैया नहीं करायी जाती। अल्ट्रासाउंड मशीन है लेकिन मरीजों के लिये उपयोग मेंनहीं लायी जाती। पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है। शौचालय व सफाई की व्यवस्था जर्जर है। हैंड सेनिटाइजर व थर्मल स्क्रीनिंग तक की सुविधा नहीं है। यही हालत गौरीशंकर व बैरागी कैम्प अस्पताल की भी है। अस्पतालों में वेटिंलेटर स्थापित नहीं किये गये हैं और चिकित्सकों की भी कमी है।
दूसरी ओर मेला अधिकारी दीपक रावत की ओर से अदालत को बताया गया कि महाकुंभ के लिये केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से 800 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। इनमें से 375 करोड़ केन्द्र और 425 करोड़ रुपये राज्य सरकार की ओर से जारी किये गये हैं।
मेला क्षेत्र में छह घाटों का निर्माण किया गया है। श्रद्धालुओं की जांच करने के लिये सात लोकेशन चयनित किये गये हैं। प्रतिदिन लगभग पांच हजार श्रद्धालुओं की कोरोना जांच करायी जा रही है। अदालत ने इस पर चिंता व्यक्त की और कहा कि श्रद्धालुओं की अधिकता को देखते हुए यह संख्या पर्याप्त नहीं है।
इसके साथ ही अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि प्रदेश सरकार कोरोना महामारी को लेकर जारी एसओपी का सख्ती से अनुपालन कराये। कोरोना की जांच प्रतिदिन पांच हजार से बढ़ाकर पचास हजार की जाये। अदालत ने सुनवाई के बीच में मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत से भी नैनीताल में पर्यटकों द्वारा कोरोना गाइड लाइन का अनुपालन न करने और मास्क न पहनने पर चिंता व्यक्त की और कहा ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें और 1000 रुपये का अर्थदंड लगाया जाये।
अदालत ने यह भी कहा कि सरकार कोरोना संक्रमित मरीजों की पूरी रिपोर्ट प्रतिदिन वेबसाइट पर जारी करे। अदालत ने ऋषिकेश से नीलकंठ जाने वाली सड़क की भी तत्काल मरम्मत के निर्देश दिये हैं और कहा कि कुंभ मेला के बाद सड़क पर पुनर्निमाण किया जाए। इस मामले में अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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