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अधिकारियों पर जांच मामले में ढिलाई को लेकर जवाब-तलब

नैनीताल 31 मार्च (वार्ता) करोड़ों रूपये के छात्रवृत्ति घोटाले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को सरकार से पूछा है कि पद का दुरूपयोग कर छात्रवृत्ति घोटाले का लाभ लेने वाले आरोपी समाज कल्याण अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?
मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान की अगुवाई वाली पीठ में देहरादून निवासी रवीन्द्र जुगरान और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता सुभाष नौटियाल की ओर से कहा गया कि घोटाले के दोषी आरोपी पांच सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सरकार की ओर से अभी तक जांच की अनुमति नहीं दी गयी है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए छात्रवृत्ति का लाभ लिया है। बताया जा रहा है कि आरोपी सभी अधिकारी समाज कल्याण महकमे से जुड़े हैं।
दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया कि एक अधिकारी के खिलाफ जांच की अनुमति दे दी गयी है। सरकारी अधिवक्ता पुष्पा जोशी की ओर से शेष चार के मामले में जांच को लेकर सरकार से दिशानिर्देश लेने के लिये अदालत से तीन सप्ताह के समय की मांग की गयी। जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
दूसरी ओर घोटाले की जांच कर रहे दोनों विशेष जांच दलों (एसआईटी) की ओर से अदालत में अभी तक की प्रगति रिपोर्ट पेश की गयी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही एसआईटी की ओर से पूरे प्रकरण की जांच के लिये अतिरिक्त समय की मांग की गयी। हालांकि याचिकाकर्ता रवीन्द्र जुगरान की ओर से इसका विरोध किया गया। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिये 19 मई की तिथि मुकर्रर कर दी है।
यहां बता दें कि छात्रवृत्ति घोटाले का लेकर रवीन्द्र जुगरान और सुभाष नौटियाल के अलावा एसके सिंह की ओर से अलग अलग जनहित याचिका दायर की गयी हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से करोड़ों रूपये के इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गयी है।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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