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छह दिन बाद भी चचरैत कांड का सच नहीं आया सामने

नैनीताल 14 अप्रैल (वार्ता) उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के चचरैत कांड को बीते छह दिन हो गये हैं लेकिन इस संदिग्ध मामले का सच अभी तक सामने नहीं आया है।
पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने अब तक इस मामले का पता लगाने के लिए कुछ नहीं किया है। परिजनों की शिकायत के बावजूद प्रशासन लापरवाह बना हुआ है।
पिथौरागढ़ के बेरीनाग तहसील के चचरैत गांव में गत नौ अप्रैल को पति-पत्नी और दो साल की मासूम की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया था। गांव के चंचल सिंह महरा, उसकी पत्नी सरिता (25) और डेढ़ साल की मासूम गीताजंलि के शव एक ही कमरे से बरामद हुए थे। बताया जाता है कि चंचल का शव फंदे से लटका था जबकि मां-बेटी का शव बिस्तर पर पड़ा था।
प्रथम दृष्टया इस घटना को सामूहिक हत्या माना जा रहा था। पहाड़ों में हुई दिल दहला देने वाली इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया था। इस घटना में मोड़ तब आया जब मृतक चंचल सिंह के ससुर चंद्र सिंह ने इस मामले में अगले दिन ही तहरीर देकर इसे सीधे सीधे हत्या करार दिया था और आरोप चंचल के भाई भगवान सिंह, उसकी पत्नी और पुत्र कमलेश पर मढ़ा था।
उपजिलाधिकारी बेरीनाग को संबोधित पत्र में श्री सिंह ने आरोप लगाया कि छह माह पहले भी आरोपियों ने उसकी बेटी सरिता के साथ मारपीट की और तभी से वह मायके में रह रही थी। उसका दामाद चंचल दिल्ली में निजी कंपनी में काम करता था और घटना से एक दिन पहले आठ अप्रैल को ससुराल से अपने परिवार को साथ लेकर गांव चचरैत पहुंचा था और अगले दिन तीनों के शव बरामद हुए।
घटना के बाद उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह राजस्व टीम के साथ मौके पर पहुंचे और मौका मुआयना किया और शवों को पोस्टमार्टम के लिये जिला मुख्यालय भेजा। तहरीर मिलने के बाद प्रशासन ने रिपोर्ट दर्ज कर ली लेकिन इस संगीन मामले की तह तक जाने के लिये कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
एसडीएम अभय प्रताप सिंह ने बुधवार को यूनीवार्ता को बताया कि अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है जबकि जिलाधिकारी आनंद स्वरूप ने कहा कि रिपोर्ट मिल गयी है और अध्ययन करने के बाद ठोस निर्णय लिया जायेगा।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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