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कोरोना : अस्थायी अस्पतालों का निर्माण करे सरकार

नैनीताल 20 अप्रैल (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलोें को देखते हुए गहरी चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को अस्थायी अस्पतालों के निर्माण तथा कोविड अस्पतालों की संख्या में बढ़ोतरी करने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने चार धाम यात्रा के लिये पृथक से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने को भी कहा है।
मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान की अगुवाई वाली पीठ में कोरोना महामारी को लेकर दायर विभिन्न जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रदेश में कोरोना का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार के पास कोरोना महामारी से निपटने के लिये उपयुक्त साधन मौजूद नहीं हैं। पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, उपकरण व पीपीई किट उपलब्ध नहीं हैं। निजी क्षेत्र के अस्पताल कोरोना मरीजों को अधिक शुल्क के नाम पर लूट रहे हैं।
सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश में पांच मेडिकल कालेज मौजूद हैं। अदालत ने इन्हें नाकाफी मानते हुए सरकार को निर्देश दिया कि कोरोना महामारी से निपटने के लिये डीआरडीओ और केन्द्र सरकार की एजेसिंयों के सहयोग से प्रदेश में अस्थायी अस्पतालों का निर्माण किया जाये। साथ की कोविड अस्पतालों व कोविड केयर सेंटरों की संख्या में वृद्धि की जाये। पहाड़ी क्षेत्रों में कोरोना जांच के लिये मोबाइल वैन संचालित की जाये।
अदालत ने सरकार को सभी सरकारी व जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन उपलब्ध कराने को भी कहा है। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि अधिक शुल्क लिये जाने के मामले में निजी अस्पतालों के खिलाफ कार्यवाही करे और सुनिश्चित करे कि निजी अस्पताल मानक के तहत गरीबों का उपचार करे।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि इन सभी बिन्दुओं को 22 अप्रैल को होने वाली केबिनेट की बैठक में रखा जाये और अनुपालन रिपोर्ट 10 मई तक अदालत में पेश किये जा सकेंगे।
अदालत ने स्वास्थ्य महकमे को भी निर्देश दिया कि कोरोना महामारी को देखते हुए एक विस्तृत और व्यापक रिपोर्ट अदालत में पेश करे जिसमें बेडों, आईसीयू, वेटिंलेटर, आक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसीविर, जांच लेबोरेटरी, निजी अस्पतालों और पीपीई किट की पूरी वस्तुस्थिति शामिल हो।
आज अदालत में मुख्य सचिव ओमप्रकाश और स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी पेश हुए। अदालत ने पहाड़ी क्षेत्रों में थोपे गये नाइट कफ्र्यू की बाध्यता और सुशीला तिवारी अस्पताल में उपनल कर्मियों की हड़ताल के फलस्वरूप उपजी स्थिति को लेकर सरकार से सवाल खड़े किये।
अदालत ने चिंता व्यक्त की कि उपनल कर्मियों की हड़ताल से अस्पताल में व्यवस्थायें चरमरा गयी हैं और पूरा अस्पताल गंदगी में तब्दील हो गया है। अदालत ने महाकुंभ के साथ राज्य में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा को लेकर भी गहरी चिंता व्यक्त की और सरकार से बेहतर योजना बनाने और विशेष एसओपी जारी करने को भी कहा है।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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