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प्रोफेसर को सेवानिवृत्ति के बाद संत्रांत लाभ देने से हाईकोर्ट ने किया मना

नैनीताल, 10 जून (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को सेवा निवृत्ति के बाद सत्रांत लाभ दिये जाने से इनकार कर दिया है और साथ ही याचिका को खारिज कर दिया।
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नकली सिंह की ओर से याचिका दायर कर मामले को चुनौती दी गयी थी। मामले की सुनवाई गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई ।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि 65 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद उन्हें दिसम्बर, 2020 में सेवानिवृत्त कर दिया गया है जबकि उन्हें जून तक सत्रांत लाभ मिलना चाहिए था। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता डाॅ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने अदालत के समक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) रेगुलेशन, 2010 का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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