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भवानीपुर उपचुनाव : मतदाताओं को लुभाने नये फंडे आजमा रहे राजनीतिक दल

कोलकाता 15 सितंबर (वार्ता) पश्चिम बंगाल में भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर विभिन्न राजनीतिक दल कोविड-19 मानदंडों और हालिया के खराब मौसम को के बीच मतदाताओं को लुभाने के लिए नयी रणनीतियां अपना रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव लड़ने के कारण भवानीपुर सीट ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। यहां 30 सितम्बर को उपचुनाव होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के फिर से परचम लहराने के बावजूद स्वयं सुश्री बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव हार गयी थी। उन्होंने हालांकि नंदीग्राम सीट पर फिर से चुनाव कराये जाने की भी मांग की थी।
पिछले विधानसभा चुनाव में सुश्री बनर्जी ने प्रदेश की सत्ता पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा बरकरार रखा है , लेकिन संवैधानिकता के तहत मुख्यमंत्री के आसन पर बने रहने के लिए वह अपने गृहनिर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर से चुनाव लड़ रही है।
भवानीपुर उपचुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति है। प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने सुश्री बनर्जी के मुकाबले तेजतर्रार अधिवक्ता प्रियंका टिबरेवाल को खड़ा किया है , वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अधिवक्ता श्रीजीव विश्वास को चुनाव मैदान में उतारा है। तीनों उम्मीदवारों ने अपना चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है।
कोरोना प्रतिबंधों के परिप्रेक्ष्य में राजनीतिक दलों के चुनाव प्रबंधकों ने रैली एवं सभाओं को दरकिनार करते हुए भवानीपुर के सभी आठ वार्डों में मतदाताओं से घर-घर संपर्क करने की रणनीतियां अपनायी है। वे प्रत्येक मतदाताओं के पास जाकर अपने दलीय उम्मीदवार की योग्यता एवं उपलब्धियां गिना रहे हैं वहीं प्रतिद्वंद्वियों की कमजोरियों को उनके समक्ष उजागर कर रहे हैं।
सुश्री बनर्जी प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में किसी परिचय की मोहताज नहीं है और भवानीपुर चूंकि सुश्री बनर्जी का गृहनिर्वाचन क्षेत्र भी हैं । वहीं भाजपा उम्मीदवार प्रियंका टिबरेवाल ने मौलाली से पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह तृणमूल कांग्रेस के स्वर्ण कमल साहा से करीब 50 हजार वोटों से चुनाव हार गयी थी।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद सुश्री टिबरेवाल ने कहा था कि वह राजनीतिक अपराधों के पीड़ितों के लिए लड़ रही हैं और उनकी लड़ाई पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए भी है।
तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि उनकी नेता के लिए यह चुनाव जीतना आसान है और मतदाताओं ने भी अपने मुख्यमंत्री को वोट देने का मन बना लिया है।
दूसरी तरफ सुश्री टिबरेवाल का कहना है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र मतदान होने तथा 70 प्रतिशत मतदाताओं ने भी वोट डाला तो उनकी जीत सुनिश्चित है। वह स्वयं को भवानीपुर की बेटी बताते हुए मतदाताओं से समर्थन मांग रही है।
टंडन.संजय
वार्ता
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