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राष्ट्रीय एकता के लिये देश के प्रतिष्ठित विद्वानों ने की चर्चा

देहरादून, 26 सितम्बर(वार्ता) उत्तराखंड के देहरादून में राष्ट्रीय सर्व धर्म एकता संघ के बैनर तले आयोजित ‘द मीटिंग ऑफ माइंड्स : डॉयलॉग द वे फॉरवर्ड’ विषय पर देश के अनेक प्रतिष्ठित विद्वानों ने देश की एकता के लिये विचार मंथन किया।
आईआरडीटी सभागार में कल रात आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के पैटर्न इन्द्रेश कुमार ने कहा कि जन्नत के लिये तीन चीज आवश्यक हैं- अपनी सरजमीं की हिफाजत, तरक्की और कुर्वानी। यह आधा ईमान है, जो जन्नत की तरफ भेजता है। इसके लिये तीन सुंदर शब्द हैं- भारत, भारतीय और भारतीयता। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में इसका प्रयोग करते हुये कहा कि इंडिया, इंडियन और इंडियननेन्स। उन्होंने कहा कि इसे ही लोग हिन्द, हिन्दू और हिंदुत्व भी बोलते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान, हिंदुस्तानी और हिंदुस्तानियत। यानि हुव्वल वतने निसबुलाहन।
श्री इन्द्रेश ने कहा कि हमारा देश विभिन्न धर्म, सम्प्रदाय, संस्कृति और भाषाओं का है। एक ही बात को अलग-अलग भाषा में अलग तरह से कहा जाता है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि लोग गलत तरीके से शब्दों का अर्थ निकालते हैं। उन्होंने कहा कि इसका उदाहरण क़ुरआने पाक के सबसे बड़े अनुच्छेद का नाम बकर है। जिसका हिन्दी में अर्थ गाय और अंग्रेजी में काव है। उन्होंने कहा कि जब रसूल की इस किताब में गाय के नाम से हदीस हैं तो क्यों गाय पर प्रश्न चिह्न नहीं लगने चाहिये। उन्होंने देश के सभी मजहब, जाति और पार्टी के लोगों को सुझाव दिया कि अगर वह रसूल के इल्म और हिदायत पर चल पड़ें तो उनको मिशन मिल जाएगा।
'द मीटिंग ऑफ माइंड्स : ए ब्राइडिंग इनीशिएटिव' पुस्तक के लेखक डाक्टर ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने कहा कि अगर देश का बंटवारा नहीं होता तो आज हमारा भारत देश अफगानिस्तान, ईरान की सीमा तक होता और हमारा देश एक अलग मुकाम पर होता।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डाक्टर जमीरउद्दीन शाह ने मदरसों में साइंस, मैथ, इंग्लिश जरूर पढ़ाई जाना चाहिए। उन्होंने मुसलमानों में पढ़ाई पर ध्यान न देने के लिये चिंताजनक बताते हुये कहा कि बिना पढ़े तरक्की नहीं की जा सकती।
संगोष्ठी के संयोजक और संघ के संस्थापक अध्यक्ष, देश के जाने-माने योग प्रशिक्षक और वक्ता मुफ्ती शमून कासमी ने सभी का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में देहरादून, हरिद्वार के अलावा, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के भी विद्वानों ने प्रतिभाग किया।
सं. उप्रेती
वार्ता
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