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दुष्कर्म के दोषी से संबंधित दस्तावेज न्यायालय में पेश करने के आदेश

नैनीताल, 28 सितम्बर (वार्ता) अपनी पांच साल की मासूम सौतेली बहन से छह माह तक दुष्कर्म करने जैसे घृणित मामले में फांसी की सजा पाये अभियुक्त जनक बहादुर के प्रकरण में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान की अदालत ने मामले से जुड़े सभी दस्तावेज अदालत में पेश करने के निर्देश दिये हैं।
दरअसल यह जघन्य मामला पिथौरागढ़ के जाजरदेवल थाना से जुड़ा हुआ है। नेपाली मूल के जनक बहादुर पर आरोप है कि वह छह महीने तक अपनी पांच साल की अनाथ सौतेली बहन का यौन शोषण करता रहा। मामला तब खुला जब लोगों ने उसके दुर्व्यवहार की शिकायत पुलिस से की।
पुलिस ने जांच की तो मासूम के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया। उसके शरीर पर चोट के निशान मिले। पुलिस ने यौन शोषण संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) की संगीन धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके साथ ही मामले की सुनवाई के लिये फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया। विशेष न्यायाधीश डाॅ ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा की अदालत ने विगत 24 सितम्बर को मामले को जघन्य करार देते हुए जनक बहादुर को फांसी की सजा सुना दी। साथ ही मामले को पुष्टि के लिये नैनीताल उच्च न्यायालय भेज दिया।
आज यह मामला मुख्य न्यायाधीश चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में सुनवाई के लिये आया। अदालत ने आज सुनवाई करते हुए मामले से जुड़े सभी दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिये हैं
सं.श्रवण
वार्ता
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