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एकल न्यायाधीश के आदेश को खारिज करने से पलानीस्वामी को मिली बड़ी जीत

चेन्नई, 02 सितंबर (वार्ता) तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी (ईपीएस) और एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) के बीच अन्नाद्रमुक नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान के बीच मद्रास उच्च न्यायालय के 17 अगस्त को 23 जून की यथास्थिति बनाये रखने संबंधी आदेश को शुक्रवार को रद्द करने को ईपीएस की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले एकल पीठ के आदेश को ओपीएस के पक्ष में माना जा रहा था।
गत 11 जुलाई की बैठक में ईपीएस को सर्वसम्मति से अन्नाद्रमुक के अंतरिम महासचिव के रूप में चुना गया था। इसके साथ ही पार्टी संस्थापक एमजीआर और जे जयललिता के दौर की तरह पार्टी को फिर से एकल नेतृत्व के दौर में वापस लाया गया। इसके साथ ही ओपीएस और उनके समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया गया।
न्यायमूर्ति जी. जयचंद्रन की एकल पीठ की ओर से पारित 17 अगस्त के आदेश के खिलाफ ईपीएस द्वारा दायर एक अपील पर न्यायमूर्ति एम दुरईस्वामी और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया तथा 11 जुलाई की आम परिषद (जीसी) की बैठक को वैध घोषित कर दिया, जिससे अन्नाद्रमुक के अंतरिम महासचिव के रूप में ईपीएस का दर्जा वापस आ गया।
आज के आदेश के साथ ईपीएस खेमे की ओर से बुलाई गई अन्नाद्रमुक की 11 जुलाई की जीसी बैठक और उसमें लिए गए निर्णय मान्य हो गए हैं। ईपीएस के समर्थकों ने पूरे राज्य में अदालत के फैसले पर जश्न मनाया, पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटी।
अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डी. जयकुमार ने इसकी सराहना की। उन्होंने अदालत के आदेश को ऐतिहासिक बताया और कहा कि अदालत ने ओपीएस के पार्टी से निष्कासन को भी सही साबित किया।
अपनी अपील में ईपीएस ने तर्क दिया कि एकल न्यायाधीश के निष्कर्ष एकपक्षीय, अवैध और कानून के खिलाफ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जीसी पार्टी में सर्वोच्च संस्था है और 11 जुलाई को आयोजित जीसी बैठक 23 जून को 2,190 जीसी सदस्यों अनुरोध पर आधारित थी।
ओपीएस के वकील ने तर्क दिया कि पार्टी के उपनियमों के अनुसार महासचिव चुनने की प्राथमिक सदस्यों के पास सर्वोच्च शक्ति होती है। उन्होंने तर्क दिया कि जीसी बैठक बुलाने के लिए समन्वयक और संयुक्त समन्वयक की संयुक्त सहमति भी अनिवार्य है।
ओपीएस ने यह भी तर्क दिया कि वह अभी भी पार्टी के समन्वयक बने हुए हैं और उनका पांच साल का कार्यकाल दिसंबर 2026 में समाप्त होगा जबकि ईपीएस ने तर्क दिया कि उनके दोनों पद 23 जून को की समाप्त हो गए।
गत 11 जुलाई की बैठक में ओपीएस और दो वर्तमान विधायकों समेत उनके तीन समर्थकों को पार्टी से निष्कासित कर दिए गया था। इस आशय की घोषणा 23 जून की बैठक में ही कर दी गयी थी।
ओपीएस और उनके समर्थकों को पार्टी से निष्कासित किये जाने के बाद उन्होंने जीसी बैठक में भाग नहीं लिया। ओपीएस के समथकों ने यहां स्थित पार्टी कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ मचायी। इसके बाद ईपीएस और ओपीएस समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें भी हुईं।
गत 11 जुलाई की जीसी बैठक में ईपीएस को सर्वसम्मति से अंतरिम महासचिव चुना गया। इसके साथ ही पार्टी में एकल नेतृत्व की व्यवस्था फिर से लौट आयी, जिस पर आज न्यायालय ने भी मोहर लगा दी।
संजय.श्रवण
वार्ता
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