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त्रिपुरा विस में अपने आखिरी दिन भावुक हुए विप्लव देव

अगरतला 26 सितंबर (वार्ता) त्रिपुरा से पिछले हफ्ते एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए चुने गये पूर्व मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव सोमवार को मौजूदा विधानसभा के आखिरी दिन अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी सुदीप रॉयबर्मन और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माणिक सरकार से हाथ मिलाते हुए भावुक हो उठे।
त्रिपुरा में 12 वीं विधानसभा का गठन 15 सितंबर, 2018 को किया गया था जिसमें श्री देव मुख्यमंत्री थे। साथ ही भारतीय जनता पार्टी के 35 विधायक और उसके सहयोगी आईपीएफटी के आठ विधायक थे। श्री देव के स्थान पर इस साल 15 मई को डा. माणिक साहा को नया मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद श्री देव अगरतला के बनमालीपुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक बने।
चार महीने के बाद, भाजपा ने त्रिपुरा में राज्यसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में श्री देव को नामित किया, जो मुख्यमंत्री बनने के बाद डा. साहा के इस्तीफे से खाली हो गया था। त्रिपुरा विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन श्री देव सदस्य के रूप में शामिल नहीं हुए और सोमवार को सदन की शुरुआत के तुरंत बाद, श्री देव सत्र में शामिल हो गए।
प्रश्नकाल के बाद श्री देव उठ खड़े हुए और विपक्ष के सदस्यों सहित सभा के सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए उनके आंसू छलक पड़े, जिससे सदन एक पल के लिए भावुक हो गया। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा,“भगवान की कृपा और आप सभी के समर्थन से मुझे सदन के नेता के रूप में चुना गया और अब आपने मुझे संसद के ऊपरी सदन में त्रिपुरा का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना है।”
श्री देव ने भावुक स्वर में कहा, “पहले दिन जब मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा तो यह मेरे लिए हमेशा की तरह यादगार स्मृति थी। आप सभी विशेष रूप से विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार एवं मेरे वरिष्ठ सहयोगी उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा व सुदीप रॉयबर्मन (जो श्री देव की कैबिनेट में मंत्री थे लेकिन अब कांग्रेस के एकमात्र विधायक हैं) ने मुझे सांसद बनने के लिए निर्देशित किया।”
उन्होंने कहा,“चूंकि राज्यसभा में हमारे राज्य से केवल एक सदस्य है, इसलिए मुझे संसद में सार्थक तरीके से त्रिपुरा का प्रतिनिधित्व करने में खुशी होगी और अगर कोई भी पार्टी लाइनों से हटकर महसूस करता है कि केंद्रीय स्तर पर मेरे हस्तक्षेप की आवश्यकता है तो इससे राज्य को फायदा होगा। मैं इसे अपने प्रिय राज्य के लिए करने के लिए प्रतिबद्ध हूं, जहां से मैंने संसदीय राजनीति में अपनी यात्रा शुरू की थी।”
इसके बाद श्री देव सदन के बीचोबीच आ गए और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी सुदीप रॉयबर्मन से हाथ मिलाया और उनका समर्थन मांगा, जो विधानसभा में लगभग एक असाधारण घटना थी। श्री रॉयबर्मन को श्री देव ने अपने कैबिनेट से हटा दिया और उसके बाद तीन साल तक एक ही पार्टी में रहने के बावजूद एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे। श्री रॉयबर्मन ने भाजपा के एक अन्य विधायक आशीष कुमार साहा के साथ श्री देव के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगाते हुए विधानसभा सदस्यता और भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
श्री आशीष साहा मुख्यमंत्री माणिक साहा के खिलाफ उपचुनाव नहीं जीत सके, लेकिन श्री रॉयबर्मन ने इस साल जुलाई में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उपचुनाव जीता। श्री रॉयबर्मन पार्टी के इकलौते विधायक हैं।
संजय अशोक
वार्ता
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