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हाईकोर्ट ने डीएम के खिलाफ दिये जांच के आदेश,बर्खास्त प्रधान पर एक लाख का अर्थदंड

नैनीताल 08 नवंबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उधमसिंह नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) के खिलाफ कदाचार के मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव को जांच के निर्देश दिये हैं। न्यायालय ने उधमसिंह नगर के नजीबाबाद गांव की बर्खास्त प्रधान गुंजारानी पर एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में हुई। मामला रूद्रपुर के नजीबाबाद गांव की बर्खास्त प्रधान से जुड़ा हुआ है। अदालत ने इस मामले में 19 अक्टूबर को सुनवाई की लेकिन आदेश की प्रति मंगलवार को मिली।
गुंजारानी वर्ष 2019 में नजीबाबाद की प्रधान निर्वाचित हुईं। सरकारी भूमि पर कब्जा के मामले में वह एक दिसंबर, 2020 को अयोग्य ठहरा दी गयी थी। साथ ही पंचायती राज अधिनियम, 2016 की धारा 8 (1) (3) के तहत उसे पद से बर्खास्त कर दिया गया था। किच्छा के तहसीलदार की रिपोर्ट इस मामले में प्रमुख हथियार बनी।
बर्खास्त प्रधान की ओर से बर्खास्तगी को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। एकलपीठ ने 8 दिसंबर, 2020 डीएम के आदेश को सही मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया। वह यहीं चुप नहीं बैठीं और एकलपीठ के निर्णय को सन् 2021 में विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दे दी। अदालत ने 11 मई, 2021 को अपील को खारिज कर दिया लेकिन याचिकाकर्ता को डीएम को प्रत्यावेदन प्रदान करने की छूट दे दी।
इसके बावजूद बर्खास्त प्रधान की ओर से उच्च न्यायालय में एक अन्य याचिका दायर की गयी और अदालत ने उसे भी खारिज कर दिया। पुनः उसकी ओर से किच्छा के तहसीलदार की सरकारी भूमि पर कब्जे संबंधी रिपोर्ट को चुनौती उच्च न्यायालय में तीसरी याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी। उच्च न्यायालय ने सात जून, 2021 को उसे भी खारिज कर दिया।
एकलपीठ के इस आदेश को उसने फिर विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दे दी। साथ ही रिव्यू के नाम पर इसे वापस ले लिया। इसी दौरान उधमसिंह नगर के डीएम ने बर्खास्त प्रधान के प्रत्यावेदन पर कार्यवाही करते हुए उसे प्रधान पद पर बहाल कर दिया।
डीएम के बहाली आदेश को गांव के ही सुरजीत सिंह की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी और कहा गया कि डीएम को हाईकोर्ट के आदेश को बदलने का अधिकार नहीं है। एकलपीठ ने बात मान ली और याचिका को स्वीकार कर लिया।
बर्खास्त प्रधान की ओर से अपील पर सुनवाई के दोरान तमाम तर्क दिये गये लेकिन अदालत ने एक नहीं सुनी। साथ ही उसकी अपील को खारिज कर दिया और अदालत ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगा दिया।
अदालत ने उसके इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि सरकारी भूमि पर कब्जे को लेकर उसका कोई सरोकार नहीं है। कब्जा उसके पति का है। दोनों अलग अलग हैं। अदालत ने बर्खास्त प्रधान के रवैये व आचरण पर कई सवाल किये और निंदा भी की।
इसके साथ ही अदालत ने उधमसिंह नगर के तत्कालीन डीएम की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि डीएम का बहाली आदेश अदालत के आदेशों का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि डीएम को अदालत द्वारा पारित आदेशों के प्रति सचेत रहना चाहिए था। अदालत ने प्रदेश के मुख्य सचिव को इस मामले में तत्कालीन डीएम के खिलाफ कदाचार को लेकर जांच के निर्देश भी दिये हैं।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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