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ममता ने मन्ना डे की 104वीं जयंती पर उन्हें किया नमन

कोलकाता, 01 मई (वार्ता) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को पार्श्व गायक, संगीत निर्देशक और महान संगीतकार मन्ना डे की 104वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धा समुन अर्पित कर नमन किया।
सुश्री बनर्जी ने ट्वीट किया, “सदाबहार गायक और हमारे गौरव मन्ना डे को उनकी 104वीं जयंती पर नमन कर रही हूं।”
मन्ना डे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित भारतीय पार्श्व गायक थे, जिन्होंने हिंदी फिल्म जगत में शास्त्रीय संगीत की शुरुआत की, जिससे गीतों का एक अलग युग की शुरुआत हुयी। मन्ना डे के गीत लोगों के मन में बसे हुए हैं, जो उन्हें अब तक के सबसे महान पार्श्व गायकों में से एक बनाते हैं।
प्रबोध चन्द्र डे का जन्म 1919 में कोलकाता में हुआ और उन्हें प्यार से मन्ना डे के नाम से जाना जाने लगा। वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी गायक हिंदी और बंगाली फिल्म संगीत में शास्त्रीय गीतों और हास्य गीतों के पर्याय बन गए और उन्होंने ‘अाधुनिक’ बंगाली गाने भी बाखूबी से निभाए। जब विशुद्ध रूप से ‘राग-आधारित” शास्त्रीय गीतों के गायन की बात आती है, तो संगीतकार सीधे मन्ना डे की तलाश करते थे।
‘कॉफ़ी हाउसर शी अड्डा त आज आर नेई’ कोलकाता के प्रसिद्ध कॉफ़ी हाउस समारोहों या ‘अड्डा’ की याद दिलाता है, जबकि शास्त्रीय रत्न ‘अमी जे जलसाघरे’ और ‘आमी जैमिनी तुमी शशि हे’ (एंटनी फ़िरिंगी) 19वीं सदी का संगीत के युग में वापस ले जाता है। सदी का संगीत। ‘अमी श्री श्री भजोहोरी मन्ना’ खाना पकाने के बारे में एक मजेदार गीत है, ‘बड़ो एका लागे’ (चौरंगी) अकेलेपन के मूड को बनाता है, जबकि ‘जोडी हिमालय एल्प्स एर शोमोस्तो जौमत बरफ’ चिरस्थायी प्रेम मंत्र है।
मन्ना डे की हेमंत कुमार के साथ जोड़ी फीकी पड़ने पर वह बंगाल के किंग ऑफ हार्ट्स उत्तम कुमार की पार्श्व आवाज बन गए। मन्ना डे को 2009 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, 2005 में पद्म भूषण, 1971 में पद्मश्री और दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।
मन्ना डे ने 1942 में फिल्म तमन्ना में सुरैया के साथ एक युगल गीत ‘जागो जागो आई उषा’ के साथ पार्श्व गायक के रूप में अपने करियर की शुरूआत की।
मन्ना डे ने संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा अपने चाचा के.सी. डे से हासिल की। उनके बचपन के दिनों का एक दिलचस्प वाकया है। उस्ताद बादल खान और मन्ना डे के चाचा एक बार साथ-साथ रियाज कर रहे थे। तभी बादल खान ने मन्ना डे की आवाज सुनी और उनके चाचा से पूछा - ‘यह कौन गा रहा है?’ जब मन्ना डे को बुलाया गया तो उन्होंने उस्ताद से कहा - ‘बस ऐसे ही गा लेता हूँ,’ लेकिन बादल खान ने मन्ना डे की छिपी प्रतिभा को पहचान लिया। इसके बाद वह अपने चाचा से संगीत की शिक्षा लेने लगे। मन्ना डे 40 के दशक में अपने चाचा के साथ संगीत के क्षेत्र में अपने सपनों को साकार करने के लिये मुंबई आ गये। और फिर यहीं के होकर रह गये।
शोले, मेरा नाम जोकर और आनंद मन्ना डे की कई उल्लेखनीय कृतियों में शामिल हैं। मन्ना डे ने 1942-2013 तक 3,500 से अधिक गाने रिकॉर्ड किए। हिंदी और बंगाली के अलावा, उन्होंने असमिया, गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, भोजपुरी, अवधी, मगधी, मैथिली, कोंकणी, सिंद्री और छत्तीसगढ़ी में भी गीत गाये। गुर्दे की खराबी और सांस की बीमारी के बाद 24 अक्टूबर, 2013 को दुनिया को अलविदा कह गए।
संतोष, उप्रेती
वार्ता
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