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गंगा नदी में अवैध खनन के मामले में केन्द्र से एनएमसीजी से जवाब तलब

नैनीताल, 04 मई (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गंगा नदी में अवैध खनन को लेकर हरिद्वार की मातृ सदन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के साथ ही राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा।
मातृ सदन की ओर से दायर याचिका पर आज मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी तथा न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि न्यायालय ने विगत 21 अप्रैल को जारी आदेश में सरकार को गंगा नदी में अवैध खनन पर निगरानी के लिये एक उच्चस्तरीय स्वतंत्र समिति के गठन के निर्देश दिये थे।
याचिकाकर्ता की ओर से अपने प्रार्थना पत्र में कहा गया कि गंगा में खनन का मामला प्रदेश के बजाय राष्ट्रीय विषय का मामला है। इसलिये प्रदेश सरकार के बजाय केन्द्र तथा एनएमसीजी को इस मामले में निर्णय लेना चाहिए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजयवीर पुंडीर ने बताया कि युगलपीठ ने प्रार्थना पत्र को सुनवाई के लिये स्वीकार करते हुए केन्द्र, प्रदेश सरकार के साथ ही एनएमसीजी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
इसके अलावा याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा कहा गया कि अदालत के आदेश पर राज्य सरकार की ओर से अभी तक अनुपालन रिपोर्ट पेश नहीं की गयी है। जवाब में अदालत ने राज्य सरकार को भी तय तिथि पर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं।
उल्लेखनीय है कि मातृ सदन की ओर से गंगा में होने वाले अवैध खनन के मामले को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि रायवाला से भोपुर तक गंगा नदी में अवैध तरीके से खनन किया जा रहा है। खनन के लिये मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जो कि गलत है।
विभिन्न रिपोर्टों में गंगा नदी में खनन को प्रतिबंधित किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से गंगा नदी में खनन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गयी। अदालत ने विगत 21 अप्रैल को एक आदेश जारी कर प्रदेश सरकार को निर्देश दिये कि गंगा नदी में खनन पर निगरानी के मामले में एक उच्चस्तरीय स्वतंत्र कमेटी का गठन करे। साथ ही अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करें।
अदालत ने प्रदेश सरकार को तय तिथि से पूर्व अनुपालन रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है।
रवीन्द्र, संतोष
वार्ता
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