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विधायक नहीं होने पर भी बोसराजू बने मंत्री, राजनीतिक हलकों में हलचल

बेंगलुरु, 27 मई (वार्ता) कर्नाटक में नवगठित सिद्धारमैया मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में श्री एनएस बोसराजू को शामिल किए जाने से राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है क्योंकि वह न तो विधानसभा और न ही विधान परिषद के सदस्य हैं।
श्री बोसराजू को रायचूर जिले में कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए उनकी वफादारी और कड़ी मेहनत के लिए मंत्री पद से सम्मानित किया गया है, लेकिन जिले के पार्टी नेताओं बसनगौड़ा डड्डल और हंपनगौड़ा बदरली का एक वर्ग उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने के खिलाफ है।
जिला इकाई के नेताओं ने तर्क दिया कि श्री बोसराजू ने तुंगभद्रा कमांड एरिया डेवलपमेंट एजेंसी की अध्यक्षता और तत्कालीन मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के राजनीतिक सचिव के पद का काम किया था। वह वर्तमान में तेलंगाना कांग्रेस के प्रभारी सचिव भी हैं, जहां साल के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे।
पिछड़े राजू परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री बोसराजू पक्के कांग्रेसी हैं और पार्टी आलाकमान के प्रति वफादार हैं। पार्टी ने उन्हें रायचूर से चुनाव लड़ने की योजना को छोड़ने के लिए कहा था, उन्होंने ऐसा ही किया। उनकी जगह एक मुस्लिम नेता को पार्टी टिकट दिया गया।
पार्टी आलाकमान ने उन्हें एमएलसी बनाने और उच्च जिम्मेदारियों के साथ काम देने का वादा किया, लेकिन उन्होंने मोहम्मद शालम को नामित किया, जो डॉ. शिवराज पाटिल से हार गए थे। पार्टी आलाकमान ने श्री बोसराजू को असाधारण वफादारी के लिए पुरस्कृत किया है।
जांगिड़, यामिनी
वार्ता
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