राज्य » अन्य राज्यPosted at: Feb 6 2024 5:11PM यूसीसी पर चर्चा में नेता प्रतिपक्ष ने लिया भागदेहरादून, 06 फरवरी (वार्ता) उत्तराखंड विधानसभा के उपवेशन सत्र में दूसरे दिन पूर्वाह्न समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपराह्न दो बजे चर्चा शुरू हुई जिसमें नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने यूसीसी लागू करने की दिशा में प्रयास किए। इस बीच, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्यों ने बुधवार को चर्चा में भाग लेने के की बात कही है।संसदीय कार्य मंत्री डा प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने यूसीसी की आवश्यकता बताते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लेखित नीति निर्देशिक तत्व में यह स्पष्ट निर्देशित किया गया है कि राज्य समान नागरिक संहिता बनाने की दिशा में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण के समय संविधान सभा द्वारा समान नागरिक सहिता को पहले अनुच्छेद 35 व बाद में अनुच्छेद 44 में समायोजित किया गया तथा संविधान सभा में व्यापक बहस के उपरांत यह राष्ट्रहित में उचित पाया गया कि देश में एक समान नागरिक संहिता उपयुक्त समय पर बनाई जानी चाहिए।डा अग्रवाल ने कहा कि संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डा. भीमराव अंबेडकर समान नागरिक संहिता के सबसे बड़े पक्षधर थे। उन्होंने कहा कि संविधान सभा के कुछ मुस्लिम सदस्य जैसे मौ. इस्माईल खान, नजीरूदीन अहमद, पोकर साहिब बहादुर आदि द्वारा भी यूसीसी का विरोध नहीं किया गया, अपितु कहा गया कि देश के बंटवारे का यह समय यूसीसी लागू करने के लिए अभी उचित नहीं है, इसे उपयुक्त समय पर लागू किया जाना चाहिए।संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सबसे पहली बार 1973 में केशवानंद भारती, केरल सरकार, 1985 मौहम्मद अहमद खान, शाह बानो बेगम, 1995 सरला मुदगल, यूनियन ऑफ इंडिया, 2014 शबनम हासमी, यूनियन ऑफ इंडिया, 2017 का शायरा बानो, यूनियन ऑफ इंडिया जैसे अनेकों याचिकाओं की सुनवाई के उपरांत माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा समय समय पर अपने निर्णयों में समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्ष में उचित टिप्पणियां की गई। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, तत्कालीन सरकारों ने यूसीसी पर कुछ नहीं किया।डा अग्रवाल ने कहा कि भारत देश में आपराधिक मामलों के लिए, दीवानी मामलों के लिए सभी वर्गों पर समान कानून लागू है, व्यक्तिगत नागरिक मामलों के लिए भी समान कानून लागू कर भारत की मूल भावना ‘अनेकता में एकता’ के लिए यूसीसी एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने यूसीसी से आदिवासियों को बाहर रखने का कारण बताते हुए कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड (25), सहपठित अनुच्छेद 342 के अंतर्गत तथा अनुसूची 6 के अंतर्गत, अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। उन्होंने बताया कि समिति द्वारा जनसंवाद के दौरान उक्त जनजातीय क्षेत्रों का भ्रमण भी किया गया तथा बड़ी संख्या में जनजातीय समूह के लोगों से वार्ता भी की गई।डा अग्रवाल ने कहा कि समिति द्वारा वार्ता के दौरान, जो सुझाव प्राप्त हुए उसके संबंध में यह स्पष्ट था कि जनजातीय समूह भी अपने यहां व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने का पक्षधर है, परन्तु इस हेतु जनजातीय समाज के लोगों की यह धारणा थी कि समाज के विभिन्न वर्गों में आपसी विचार विमर्श तथा आपसी सहमति बनाने के लिए कुछ अधिक समय की आवश्यकता है। इस कारण से प्रस्तुत किए गए ड्राफ्ट में जनजातीयों को अलग रखा गया है। उन्होंने कहा कि यदि जनजातियों की तुलना प्रदेश में निवास कर रहे विभिन्न वर्गों से की जाए तो अन्य वर्गों की तुलना में जनजातीय समुदाय में महिलाओं की स्थिति कहीं अधिक अच्छी है।सुमिताभ.संजयवार्ता