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कोकबोरोक की लिपी को लेकर त्रिपुरा में तनाव

अगरतला, 11 फरवरी (वार्ता) त्रिपुरा स्टूडेंट्स फेडरेशन (टीएसएफ)के नेतृत्व वाले आदिवासियों ने माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक बोर्ड परीक्षाओं में कोकबोरोक भाषा के पेपर लिखने के लिए केवल बंगाली लिपि की अनुमति देने के फैसले के विरोध में सोमवार से अनिश्चितकाल तक राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे मार्ग पर नाकाबंदी का आह्वान किया, जिससे तनाव बढ़ गया।
गौरतलब है कि कोकबोरोक भाषा राज्य में लगभग 10 लाख आदिवासी लोगों द्वारा बोली जाती है।विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने तिपराहा इंडिजीनियस प्रोग्रेसिव रीजनल अलायंस (टीआईपीआरए) मोथा की छात्र शाखा टीएसएफ की मांग का समर्थन किया है और कहा है कि कोकबोरोक भाषा के उत्तर पत्र लिखने के लिए बंगाली और रोमन दोनों लिपियों की अनुमति दी जानी चाहिए, जैसा कि एक अन्य अल्पसंख्यक भाषा मिज़ो के मामले में है।
उच्चतर माध्यमिक और माध्यमिक में कोकबोरोक की परीक्षाएं क्रमशः चार और सात मार्च को निर्धारित हैं, जिसमें लगभग 10,000 छात्र भाग लेंगे।
टीएसएफ से नाकाबंदी कार्यक्रम वापस लेने का आग्रह करते हुए माकपा ने सरकार को निर्णय वापस लेने के लिए मजबूर करने के लिए सभी वर्गों के साथ शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक आंदोलन करने का प्रस्ताव रखा है।
उधर, मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ आदिवासी नेताओं से चर्चा की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही, हालाँकि, भाजपा प्रवक्ता सुब्रत चक्रवर्ती ने रविवार को कहा कि यह सरकार का नीतिगत मामला है, जिसमें पार्टी की कोई भूमिका नहीं है।
उन्होंने कहा,“हमें उम्मीद है कि सरकार कोई समाधान निकालेगी, क्योंकि परीक्षा से पहले आंदोलन और नाकाबंदी से छात्रों के हित खतरे में पड़ जाएंगे।” उन्होंने कहा कि कोकबोरोक की कोई लिपि नहीं है और छात्र आम तौर पर भाषा का पेपर बंगाली लिपि में लिखते हैं। कोकबोरोक-भाषी लोग संचार के लिए बंगाली लिपि का उपयोग करते हैं, और यह एक परंपरा रही है। उन्होंने कहा, कोकबोरोक के लिए रोमन लिपि की मांग, विशेषकर बोर्ड परीक्षाओं में लिखने से, परीक्षा आयोजित करने और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
संतोष.संजय
जारी.वार्ता
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