राज्य » अन्य राज्यPosted at: Jul 25 2024 5:00PM आजीवन कारावास सजायाफ्ता तीन आराेपियों को लगा हाईकोर्ट से झटका, अपील खारिजनैनीताल, 25 जुलाई (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार में वर्ष 2005 में हत्या के दोषी और आजीवन कारावास सजायाफ्ता तीन अभियुक्तों को उस समय तगड़ा झटका लगा जब न्यायाल ने उनकी अपील को खारिज कर दिया। अभियुक्त राजबीर सिंह, रामवीर सिंह और रामभजन की अपील पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की युगलपीठ में सुनवाई हुई। अदालत ने तीनों की अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया था और गुरुवार को आदेश जारी किया। आदेश की प्रति आज मिली है। प्रकरण के अनुसार हरिद्वार के ज्वालापुर में वर्ष 2005 में एक व्यक्ति महिपाल सिंह की हत्या कर दी गयी थी। हत्या का आरोप तीनों अपीलकर्ताओं पर लगाया गया। तीनों के खिलाफ ज्वालापुर थाना में हत्या के आरोप में अभियोग पंजीकृत किया गया। मृतक के भतीजे रामवीर सिंह की ओर से दर्ज मामले में कहा गया कि तीनों अपीलकर्ताओं ने गांव में छह लोगों की हत्या कर दी थी और मृतक महिपाल सिंह इस मामले का चश्मदीद गवाह था। आरोपी महिपाल पर गवाही न देने का दबाव बना रहे थे। घटना के दिन जब महिपाल सिंह, रामवीर सिंह और भतीजे अनिल सिंह के साथ नरेन्द्र सिंह के घर से निकल रहे थे तो अपीलकर्ताओं ने यासीन बाग के पास उन पर गोली चला दी। गोली महिपाल सिंह को लगी और और उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। पुलिस ने जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। हरिद्वार के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (चतुर्थ) की अदालत ने राजबीर सिंह को वर्ष 2014 में हत्या करार देते हुए उसे अजीवन कारावास और 10000 रुपये का जुर्माने की सजा सुनायी जबकि रामवीर सिंह और दूसरे अभियुक्त रामभजन को वर्ष 2019 में आजीवन कारावास के साथ ही दस साल अतिरिक्त कारावास की सजा सुनायी। दोषियों की ओर से निचली अदालत के आदेश के खिलाफ वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में अलग अलग अपील दायर की गयी। युगलपीठ ने एक साथ सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि दोनों अपील खारिज किये जाने लायक हैं। युगलपीठ ने यह भी कहा कि निचली अदालत में अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित करने में सफल रहा है। निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है। रवीन्द्र. उप्रेतीवार्ता