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नोबेल पुरस्कार समिति ने टैगोर के राष्ट्रगान की अंग्रेजी पांडुलिपि साझा की

कोलकाता, 16 अगस्त (वार्ता) नोबेल पुरस्कार समिति ने देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित देश के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ की अंग्रेजी में अनूदित पांडुलिपि साझा की है।
नोबेल पुरस्कार समिति ने भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने के लिए अपने ‘एक्स’ हैंडल पर श्री टैगोर द्वारा अंग्रेजी में अनूदित 'जन गण मन' की पांडुलिपि साझा की । कवि ने अंग्रेजी का शीर्षक 'द मॉर्निंग स्टार ऑफ इंडिया' रखा था, जिसमें तीन छंदों में 18 पंक्तियां हैं। पहले छंद सात, दूसरे में छह और तीसरे में पांच है पंक्तियां हैं।श्री टैगोर ने बांग्ला भाषा में 'जन गण मन' की रचना की थी। कोलकाता में कवि के निधन के नौ वर्षों बाद वर्ष 1950 में इसे राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया।
समिति के बयान में कहा गया,“ इसका अंग्रेजी अनुवाद भी टैगोर ने ही लिखा था। ''जन गण मन'' भारत का राष्ट्रीय गान है, जो मूल रूप से कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा बंगाली में लिखा गया था। कवि को वर्ष 1913 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।”
मूल रूप से बंगाली में 'भारोतो भाग्यो बिधाता' के रूप में रचित इस गीत के पहले छंद को जनवरी 1950 में भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था।
हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं हुआ है कि कवि ने इस कविता की रचना कब की थी क्योंकि मूल बंगाली पांडुलिपि अभी तक नहीं मिली है।
यह विशेष गीत, जिसे राष्ट्रगान के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी, पहली बार 27 दिसंबर, 1911 को कोलकाता में राष्ट्रीय कांग्रेस के 26वें सम्मेलन में कोरस में गाया गया था।
श्री टैगोर के सबसे बड़े भाई के पोते दिनेंद्रनाथ टैगोर ने इस सम्मेलन में कोरस का संचालन किया था। इस बात की जानकारी अगले दिन ‘द बंगाली’ अखबार की खबर से मिली थी।
शोधकर्ताओं ने दावा किया कि कवि ने इस गीत का अंग्रेजी में अनुवाद आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली में किया था।
अभय,आशा
वार्ता
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