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भारत अगले महीने संरा में उच्च सागर संधि पर हस्ताक्षर करेगा

चेन्नई, 27 अगस्त (वार्ता) भारत अगले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (बीबीएनजे) समझौते, जिसे उच्च समुद्र संधि भी कहा जाता है, पर हस्ताक्षर करेगा।
यह महत्वपूर्ण घोषणा मंगलवार को यहां केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सलाहकार पीके श्रीवास्तव ने की। श्री श्रीवास्तव समझौते के कार्यान्वयन पर केंद्रित आज यहां शुरू हुई उच्च स्तरीय दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय समझौते से संबंधित विकास की निगरानी के लिए एक समर्पित संस्थागत तंत्र स्थापित करेगा।
श्री श्रीवास्तव ने कहा, “यह प्राधिकरण संधि से संबंधित आवश्यक नियमों, अध्ययनों और अन्य गतिविधियों से निपटेगा।” उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवश्यकताओं के साथ अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा कानून में संधि पर विस्तृत चर्चा और संशोधन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उपयोग बीबीएनजे समझौते के पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन के लिए किया जा सकता है।आगे की चुनौतियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्राथमिकताएं विकसित करना, संसाधन साझा करना, अनुसंधान और विकास और क्षमता निर्माण कुछ तात्कालिक कार्य हैं जिन्हें क्षेत्रीय सहयोग के साथ पूरा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “इस दिशा में क्षमता निर्माण के लिए दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय साझेदारी का लाभ उठाने की सख्त जरूरत है।”
कार्यशाला में दक्षिण के राजनयिकों, नीति निर्माताओं और वरिष्ठ समुद्री वैज्ञानिकों ने भाग लिया जिसमें बंगलादेश, भारत, मालदीव, श्रीलंका, नेपाल, कंबोडिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, भूटान, म्यांमार और तिमोर-लेस्ते सहित दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देश के प्रतिनिधि शामिल थे।
विशेषज्ञों के अनुसार इस संधि का अनुसमर्थन उच्च समुद्रों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो जलवायु विनियमन और नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ाने सहित कई सेवाएं प्रदान करता है। उन्होंने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समुद्री प्रशासन को बढ़ाने की तात्कालिकता और क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की आवश्यकता पर जोर दिया।
सैनी,आशा
वार्ता
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