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स्टोन क्रेशरों का जुर्माना माफ करने के मामले में खनन सचिव, निदेशक तलब

नैनीताल, 04 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के 18 स्टोन क्रेशरों पर अवैध खनन और भंडारण के रूप में लगाये गये 50 करोड़ का जुर्माना माफ किये जाने के मामले में सरकार से पूछा है कि वह बताये कि वर्ष 2016 के बाद प्रदेश में अभी तक स्टोन क्रेशरों का कितना जुर्माना माफ किया गया है।
साथ ही अदालत ने सचिव खनन और निदेशक को अगली सुनवाई पर 30 सितम्बर को वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से पेश होने को कहा है।
सितारगंज निवासी भुवन पोखरिया की ओर से दायर जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में सुनवाई हुई।
सचिव खनन आज अदालत में पेश नहीं हो पाये। उनकी जगह अपर सचिव लक्ष्मण सिंह कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने अदालत में जवाबी हलफनामा पेश किया। अदालत ने 18 स्टोन क्रेशरों के 50 करोड़ का जुर्माना माफ करने के मामले को गंभीरता से लिया है।
अदालत ने सुनवाई के दौरान नाराजगी व्यक्त करते हुए टिप्पणी की कि सरकार एक ओर स्टोन क्रेशरों का 50 करोड़ का जुर्माना माफ कर रही हैं वहीं जेल बंदियों की सुविधा और सहायता के लिये राजी नहीं है।
अंत में अदालत ने सरकार से पूछा है कि उसने वर्ष 2016 के बाद पूरे प्रदेश में अभी तक कितने स्टोन क्रेशरों का जुर्माना माफ किया है। अदालत ने जिलेवार विस्तृत जवाब देने को कहा है। साथ ही अगली सुनवाई पर खनन सचिव और खनन निदेशक को वर्चुअली पेश होने को कहा है।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2024 में एक जनहित याचिका दायर कर कहा कि अवैध खनन और भंडारण के मामले में जिले के 186 स्टोन क्रेशरों के खिलाफ कार्रवाई की गयी थी और करोड़ों का जुर्माना आरोपित किया गया लेकिन नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) ने मात्र 18 स्टोन क्रेशरों का 50 करोड़ का जुर्माना माफ कर दिया।
बड़े स्टोन क्रेशरों का जुर्माना माफ किया गया जिन पर करोड़ों में जुर्माना लगाया गया था। जब सचिव और खनन निदेशक से शिकायत की गयी तो इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही कोई जवाब दिया गया।
आगे कहा गया कि मुख्य सचिव ने वर्ष 2020 में औद्योगिक सचिव को इस मामले में जांच के आदेश दिये। औद्योगिक सचिव ने नैनीताल के डीएम को जांच के निर्देश दिये। नैनीताल डीएम ने जांच उप जिलाधिकारी हल्द्वानी को सौंप दी लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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