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आदिवासी महिलाओं की मौत मामले में मंत्री ने विपक्ष के आरोप किये खारिज

भुवनेश्वर, 27 नवंबर (वार्ता) ओडिशा के खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री के. सी. पात्रा ने बुधवार को विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया जिसमें कंधमाल जिले के मंडीपांका गांव में तीन आदिवासी महिलाओं की मौत भोजन की कमी के कारण हुई।
विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस के सदस्यों ने आरोप लगाया कि महिलाओं के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था। उन्हें गुठली खाने के लिए मजबूर किया गया। जिसके कारण उनकी मौत हो गई।
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट बीजद और कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से बाहर चले गये।
प्रमिला मलिक, प्रताप केशरी देब (दोनों बीजद) और अन्य द्वारा पेश किए गए स्थगन प्रस्ताव की स्वीकार्यता का जवाब देते हुए श्री पात्रा ने कहा कि तीनों महिलाएं - रुनु माझी, रमिता पाटा माझी और जीता माझी की भोजन की कमी के कारण नहीं बल्कि विषाक्त भोजन के कारण मौत हुई है।
उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य छोटे-छोटे मुद्दों पर राजनीति कर रहे हैं क्योंकि उनके पास सदन में उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं है। विपक्ष के आरोप की निंदा करते हुए मंत्री ने कहा कि तीनों महिलाओं के परिवारों के पास खेती की जमीन है। उन्होंने टोकन लेकर मंडी में सरकार को धान बेचा है। इसके अलावा रुनु माझी का भाई सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में सेवारत है।
श्री पात्रा ने कहा कि अक्टूबर से अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) चावल के वितरण के लिए कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, सितंबर के अंतिम सप्ताह में रुनू, रमिता और जीता माझी के परिवारों को अतिरिक्त 12 किलो रागी वितरित की गई। उन्होंने कहा कि विपक्ष का आरोप आधारहीन है।
मंत्री ने विपक्ष के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि ई-केवाईसी जांच प्रक्रिया के कारण पीडीएस चावल वितरित नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि बिना ई-केवाईसी के चावल वितरित किया जा रहा है और उन्होंने अध्यक्ष से स्थगन के नोटिस को खारिज करने का आग्रह किया।
श्री पात्रा ने कहा कि सरकार लाभार्थियों को उनकी नियत अवधि से पहले मासिक खाद्यान्न का कोटा प्रदान करने, एक बार में दो या तीन महीने का खाद्यान्न कोटा प्रदान करने और गोदामों से खाद्यान्न उठाकर एक निश्चित समय सीमा के भीतर लाभार्थियों को वितरित करने के लिए कदम उठा रही है।
बहस में भाग लेते हुए बीजद के आर. पी. स्वैन ने कहा कि सरकार द्वारा चार महीने तक लाभार्थियों को चावल वितरित न किए जाने के कारण लोगों की मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री इन मौतों के लिए जिम्मेदार हैं और मंत्री के इस्तीफे की मांग की।
उनकी पार्टी के सहयोगी ब्योमकेश राय ने कहा कि पूरी व्यवस्था विफल हो गई है। महिलाओं की मौत आम की गुठली खाने के बाद हुई, क्योंकि उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था।
कांग्रेस के सी. एस. रज्जान एक्का और प्रफुल्ल चंद्र प्रधान ने कहा कि आम की गुठली आदिवासियों का पारंपरिक भोजन नहीं है। उन्हें आम की गुठली खाने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि उनके पास खाने के लिए भोजन नहीं था।
सत्ता पक्ष के सदस्य टंकधर त्रिपाठी, अशोक कुमार मोहंती, संतोष कुमार खटुआ और इरासिस आचार्य ने सरकार का बचाव किया।
सोनिया, उप्रेती
वार्ता
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