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देहरादून की सौंग और सुसुवा नदियों में मशीनी खनन पर उच्च न्यायालय ने लगायी रोक

नैनीताल, 05 दिसंबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को देहरादून की सुसुवा और सौंग नदी में ड्रेजिंग के नाम पर आधुनिक मशीनों से किये जा रहे खनन पर रोक लगा दी, साथ ही सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने के लिए कहा है।

देहरादून के वीरेंद्र कुमार की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की युगलपीठ में सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से उत्तराखंड उपखनिज (परिहार) नियमावली के प्रावधानों को चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय ने प्रदेश की नदियों में खनन के लिए भारी मशीनों के उपयोग पर रोक लगायी है।

इसलिये सरकार की ओर से ड्रेजिंग के नाम पर नदियों से उप खनिज निकालने की अनुमति दी जा रही है। इसके लिये भारी मशीनों को उपयोग में लाया जा रहा है। देहरादून की सौंग और सुसुवा नदियों में भारी और आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।

इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। मशीनों से हो रहे खनन के चलते श्रमिकों से रोजगार छिन गया है। याचिकाकर्ता की ओर से भारी मशीनों के उपयोग पर रोक लगाने की मांग की गयी।

दूसरी ओर प्रदेश सरकार की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि प्रदेश में ड्रेजिंग के लिये अलग से नीति बनायी गयी है। इसके तहत नदियों का प्रवाह बनाये रखने और बाढ़ से बचाव के लिये नदी तट से गाद, सिल्ट के साथ ही उपखनिज निकाला जाता है।

ड्रेजिंग की अनुमति सरकार के बजाय जिला प्रशासन की ओर से गठित कमेटी की ओर से दी जाती है। अंत में अदालत ने दोनों नदियों में ड्रेजिंग के नाम पर हो रहे खनन के लिये मशीनी उपयोग पर रोक लगा दी। साथ ही सरकार से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।

रवीन्द्र.अभय

वार्ता
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