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ओडिशा विस में परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक पारित

भुवनेश्वर, 7 दिसंबर (वार्ता) ओडिशा विधानसभा में भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, परीक्षा पेपर लीक और अनुचित साधनों को रोकने के लिए ‘ओडिशा सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024’ पारित किया गया।
यह विधेयक शुक्रवार को ध्वनि मत से पारित हो गया। केंद्र सरकार ने भी पहले भी ऐसा विधेयक पारित किया है। हरियाणा, असम और महाराष्ट्र जैसे कुछ अन्य राज्यों ने भी धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह कानून बनाया है। विधेयक में भर्ती और प्रवेश परीक्षा में संगठित अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
विधेयक में प्रावधान है कि इस अधिनियम के तहत अनुचित साधनों और अपराधों का सहारा लेने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन साल की कैद की सजा दी जाएगी जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और 10 लाख रुपये तक जुर्माना, जुर्माना अदा न करने पर कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। इसमें ऐसे अपराधों में शामिल पाए जाने पर सेवा प्रदाता से एक करोड़ रुपये का जुर्माना और जांच की आनुपातिक लागत वसूलने का प्रावधान है। संगठन को चार साल तक कोई भी परीक्षा आयोजित करने से भी रोक दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने विधेयक को आगे बढ़ाते हुए कहा कि विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षा प्रणालियों में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है और युवाओं को आश्वस्त करना है कि उनके ईमानदार और वास्तविक प्रयासों को उचित पुरस्कार मिलेगा और उनका भविष्य सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों, संगठित समूहों या संस्थानों को प्रभावी ढंग से और कानूनी रूप से रोकना है जो विभिन्न अनुचित तरीकों में लिप्त हैं और मौद्रिक लाभ कमाने के लिए सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। यह ओपीएससी, ओएसएसएस कमिशन, एसएसबी, ओडिशा अधीनस्थ जैसी भर्ती एजेंसियों ,कर्मचारी चयन आयोग, और ओडिशा संयुक्त प्रवेश परीक्षा प्राधिकरण को कवर करेगा।
पिछली जनता दल बीजू (बीजद) सरकार पर निशाना साधते हुए श्री माझी ने कहा कि बीजद शासन के दौरान परीक्षा और भर्ती में कोई पारदर्शिता नहीं थी। सहायक अनुभाग अधिकारियों की नियुक्तियां 25 से 30 लाख रुपये में बेची गईं। परीक्षा पेपर लीक में अधिकारी शामिल थे लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की और बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष ने रिश्वत ली और अयोग्य व्यक्तियों को नौकरियां दीं। इसी तरह, 2023 में जेई (सिविल) परीक्षा प्रश्न पत्र लीक के कारण रद्द कर दी गई थी।
श्री माझी ने कहा, ''कोई भी गर्व से नहीं कह सकता कि पिछली सरकार द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया स्वच्छ और पारदर्शी थी।हर भर्ती सूची के साथ-साथ गपशप, प्रतिभाशाली छात्रों के स्व-चित्र, फर्जी उम्मीदवार, नकल, प्रश्नपत्र में छेड़छाड़, प्रश्नपत्र लीक आदि के उदाहरण चर्चा का विषय बन जाते हैं।''
उन्होंने कहा, “मेरी सरकार एक जिम्मेदार सरकार है। यह सरकार पारदर्शिता, ईमानदारी, निष्पक्षता और समानता में विश्वास करती है। मैं उन लाखों प्रतिभाशाली छात्रों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हूं जो मेरे ओडिशा में प्रगति के चालक हैं। यह विधेयक एक निवारक शक्ति की तरह है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून परीक्षा प्रणाली में व्यवधान पैदा करने वाले तत्वों एवं अन्य तत्वों की पहचान करने में मदद करेगा तथा परीक्षा में संगठित अपराध को रोकने में सफल होगा।
सैनी अशोक
वार्ता
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