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तमिलनाडु पुलिस ने साइबर गुलामी घोटाले के बारे में चेतावनी दी

चेन्नई 07 दिसंबर (वार्ता) तमिलनाडु पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने नौकरी चाहने वालों को निशाना बनाकर किए जा रहे एक घोटाले के बारे में सार्वजनिक चेतावनी जारी की है और कहा है कि साइबर गुलामी बढ़ रही है।
साइबर गुलामी भ्रामक ऑनलाइन भर्ती के माध्यम से व्यक्तियों का शोषण है जिसके कारण उन्हें जबरन श्रम या अवैध गतिविधियों में शामिल होना पड़ता है। साइबर गुलामी बढ़ रही है जहां व्यक्तियों, विशेष रूप से भारत से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में डेटा एंट्री और कॉल सेंटर जैसी नौकरियों के लिए अनधिकृत जनशक्ति एजेंसियों द्वारा अवैध रूप से भर्ती किया जा रहा है।
साइबर अपराध शाखा मुख्यालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि आगमन पर उन्हें साथी भारतीयों को निशाना बनाकर किए जाने वाले घोटालों में मजबूर किया जाता है या जबरन श्रम की स्थिति में फंसाया जाता है। लोगों को नौकरी के झूठे वादे करके धोखा देने और उन्हें विदेश में शोषणकारी स्थितियों में मजबूर करने के लिए अनधिकृत भर्ती एजेंसियों के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गई हैं।
हाल ही में प्रोटेक्टर ऑफ इमिग्रेंट्स (पीओई) चेन्नई ने 128 यूआरएल का विवरण साझा किया गया जिसमें अनधिकृत भर्ती एजेंटों से जुड़े सोशल मीडिया लिंक, वेबसाइट आदि शामिल हैं। साइबर अपराध शाखा पुलिस ने आवश्यक कार्रवाई की है और इन यूआरएल को सफलतापूर्वक हटा दिया है।
पीओई ने घोटाले के तरीके के बारे में बताते हुए कहा कि बिना लाइसेंस वाले भर्तीकर्ता विदेश में उच्च वेतन वाली नौकरियों के लुभावने वादों के साथ व्यक्तियों को आकर्षित करते हैं अक्सर इन अवसरों को वैध और जीवन बदलने वाले के रूप में चित्रित करते हैं।
उन्होंने कहा ''ये धोखेबाज भर्तीकर्ता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, नकली वेबसाइटों और अन्य अनधिकृत चैनलों के माध्यम से काम करते हैं। उचित प्राधिकरण या क्रेडेंशियल के बिना वे अनजान व्यक्तियों को हेरफेर करते हैं जिससे वास्तविक और अवैध एजेंसियों के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है।''
विदेश में जाने पर पीड़ितों को पता चलता है कि वादा की गई नौकरियां या तो मौजूद नहीं हैं या शोषणकारी परिस्थितियों के साथ आती हैं। उन्हें अक्सर अवैध गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है जैसे कि दूसरों को ठगना और उचित मुआवजे या कानूनी उपाय के बिना कठोर कार्य वातावरण के अधीन होना।
उन्होंने कहा कि अपने पीड़ितों को और अधिक फंसाने के लिए भर्तीकर्ता पासपोर्ट और अन्य पहचान दस्तावेज जब्त कर लेते हैं जिससे व्यक्ति अपनी शोषणकारी परिस्थितियों से बाहर नहीं निकल पाते और उन्हें जबरन श्रम के चक्र में फंसा देते हैं जिससे भागना या मदद मांगना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
पुलिस ने लोगों को अवैध भर्ती करने वालों से बचने और बिना उचित दस्तावेज के नौकरी देने का वादा करने वाली एजेंसियों पर भरोसा न करने या असत्यापित प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की सलाह दी है। साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा अधिकृत भर्ती एजेंसियों से ही संपर्क करके प्राधिकरण की जांच करने की सलाह दी है, जिनके पोर्टल पर सभी पंजीकृत भर्ती एजेंट सूचीबद्ध हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि उत्प्रवास अधिनियम, 1983 के अनुसार कोई भी व्यक्ति वैध प्रमाण पत्र के बिना भर्ती एजेंट के रूप में कार्य करने के लिए अधिकृत नहीं है। भर्ती करने वाले एजेंटों को आपको अपना पंजीकरण प्रमाण पत्र दिखाने में सक्षम होना चाहिए, अपने कार्यालयों और विज्ञापनों में अपना लाइसेंस नंबर प्रदर्शित करना चाहिए। साथ ही लोगों से सतर्क रहने और संदिग्ध भर्ती करने वालों या विज्ञापनों की सूचना ई-माइग्रेट पोर्टल और पुलिस विभाग को तत्काल कार्रवाई के लिए देने के लिए कहा गया है।
जांगिड़ अशोक
वार्ता
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