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गरीबी भोगने वाला ही बन सकता है संपूर्ण नेता: द्विवेदी

नयी दिल्ली 05 जनवरी (वार्ता) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने आज कहा कि साधारण घरों से निकलकर नेता बनने वालों के प्रति उनके मन में बहुत आदर है और वह मानते हैं कि जिन्होंने गरीबी का दुख दर्द स्वयं नहीं सहा है वे न संपूर्ण नेता बन सकते हैं और न ही संपूर्ण बौद्धिक।
श्री द्विवेदी ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में अपना कार्यकाल पूरा होने के मौके पर सदन में अपने विदाई भाषण में कहा , “ मैं अपने मन की बात कह रहा हूं , जो लोग संगठन में काम करते हैं वे जानते हैं कि मेरे मन में उनके लिएए बहुत आदर है जो साधारण घरों से ऊपर उठकर आते हैं। मेरे मन में उनके लिए बहुत आदर हैं जो साधारण रहकर नेता बने हैं। मेरा शुरू से यह विश्वास रहा है कि हमारी सद्भावना बौद्धिक दृष्टि से गरीब के दुख दर्द से से हो सकती है लेकिन अगर आपने उस दर्द को जिया नहीं, भोगा नहीं है तो न आप संपूर्ण नेता बन सकते हैं और न संपूर्ण रूप से बौद्धिक। ”
इससे पहले उन्होंने अपनी पृष्ठभूमि का भी जिक्र किया और कहा कि वह मिट्टी के घर में पैदा हुए थे और पढने के लिए हर रोज साढे आठ किलोमीटर पैदल जाते थे। राज्यसभा से ‘रिटायर’ होने पर उन्होंने कहा कि अगर कोई यह समझता है कि उसे अब रिटायर होना चाहिए तो दलों की सीमा को छोड़कर आगे आना चाहिए और ईमानदारी और देश और समाज की बात करनी चाहिए इससे देश का भला होगा।
श्री द्विवेदी ने कहा कि 57 वर्ष के राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी विचारों से समझौता नहीं किया जिससे जीवन में एक अंतरविरोध रहा। उन्होंने कहा , “ जब आप संगठन में होते हैं तो संगठन की मर्यादा का पालन करना होता है लेकिन मन उस से बड़ी चीज है और आज की समस्या शायद यही है। मनुष्य का बाह्य विकास बहुत हो जाता है लेकिन आंतरिक विकास कम होता है और इसलिए बहुत सारी कठिनाइयां पैदा होती हैं।”
उन्होंने कहा कि उन की कई बातों पर उनके साथी, जिनमें से कुछ यहां भी बैठे हैं उन्हें न बोलने की सलाह देते हैं उनका स्वभाव कुछ ऐसा है कि रहा नहीं जाता और भीतर का सत्य का बाहर आ ही जाता है।
संजीव उनियाल
वार्ता
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