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पार्लियामेंट


सोलहवीं लोकसभा में पहली बार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिसपर 11 घंटे 46 मिनट की चर्चा हुई। अंतत: प्रस्ताव नामंजूर हो गया।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडु ने मानसून सत्र के दौरान सदन के कामकाज के सुचारू रूप चलाये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि इस दौरान सदन की उत्पादकता 74 फीसदी रही है जो पिछले दो सत्रों की तुलना में बहुत बेहतर है।
श्री नायडु ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले कहा कि 18 दिवसीय इस सत्र में 17 दिन काम काज हुआ। एक दिन गुरू पूर्णिमा का अवकाश रहा। उन्होंने कहा कि इस दौरान पिछले दो सत्रों की तुलना में 114 फीसदी विधायी कार्य हुआ और 14 विधेयक पारित किये गये जिन में एक संविधान संशोधन विधेयक और अनुसूचित जातियां / अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक भी शामिल है।
उन्होंने किसानों की स्थिति और अर्थव्यवस्था पर सदन में चर्चा नहीं होने पर नाराजगी जताते हुये कहा कि सामाजिक न्याय, आंध्र प्रदेश पुनगर्ठन अधिनियम के क्रियान्वयन और अमस में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर अल्पकालिक चर्चा की गयी। इस दौरान शून्यकाल में 120 सदस्यों ने अपनी समस्यायें उठायीं और प्रत्येक दिन 12 प्रश्नों के उत्तर पूछे गये तथा इस दौरान विभिन्न समितियों के 146 प्रतिवेदन सदन में पेश किये गये।
उल्लेखनीय है कि उप राष्ट्रपति एवं सभापति के रूप में उनका एक वर्ष का कार्यकाल आज ही पूरा हुआ है।
मानसून सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन ने कहा, “इस सत्र में लोकसभा ने समाज कल्याण से जुड़े ऐसे विधेयक पारित किये हैं, जिसका व्यापक प्रभाव समाज के वंचित वर्गों के हितों पर पड़ेगा।”
उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान चालू वित्त वर्ष (2018-19) के लिए पूरक अनुदान मांगों एवं 2015-16 के लिए अतिरिक्त अनुदान मांगों से संबंधित विनियोग विधेयकों को चार घंटे 46 मिनट से अधिक की चर्चा के बाद पारित कराया गया। इस दौरान 75 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिये गये। शेष 285 तारांकित प्रश्नों के लिखित उत्तर 4,140 अतारांकित प्रश्नों के उत्तरों के साथ सभा पटल पर रखे गये।
सत्या अरविंद
वार्ता
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