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ई-सिगरेट प्रतिबंधित करने वाला विधेयक राज्यसभा में पेश

नयी दिल्ली 28 नवंबर (वार्ता) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को ई. सिगरेट प्रतिबंधित करने वाला विधेयक राज्यसभा में पेश करते हुए कहा कि इससे नयी पीढ़ी का भविष्य बचाने में मदद मिलेगी और तंबाकू का इस्तेमाल नियंत्रित किया जा सकेगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने सदन में ‘इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण एवं विज्ञापन) प्रतिबंध विधेयक’ पेश करते हुए कहा कि इससे देश में युवा पीढी को ई-सिगरेट जैसे नशे की चपेट में आने से रोका जा सकेगा। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है और यह 18 सितंबर को जारी अध्यादेश का स्थान लेगा।
इससे पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के के. के. रागेश ने संबंधित अध्यादेश को निरस्त करने का प्रस्ताव रखा और कहा कि सरकार को संसद के सत्र का इंतजार करना चाहिए था।
डा हर्षवर्द्धन ने ई-सिगरेट से होने वाले नुकसान पर कहा कि वैज्ञानिक साक्ष्य हैं कि ई. सिगरेट से कई प्रकार के विषैले पदार्थ निकलते हैं जिससे कई बीमारियां होती हैं और इसका जहर अचानक शरीर के किसी भी हिस्सों को प्रभावित करता है। ई. सिगरेट में निकोटिन हाेता और इससे कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है। पहले निकोटिन सल्फेट का प्रयोग कीटनाशक के रूप में किया जाता था लेकिन इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि ई. सिगरेट से होने वाले इस खतरे की गंभीरता को भांपते हुए सरकार गत 18 सितंबर को एक अध्यादेश लाकर आयी जिससे पूरे देश में ई-सिगरेट के आयात, उत्पादन, बिक्री, विज्ञापन, भंडारण और वितरण पर रोक लगा दी थी। प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के लिए एक वर्ष तक के कारावास अथवा एक लाख रुपए के जुर्माने या दोनों की सजा का प्रावधान किया गया है। ई-हुक्का, हीट नोट बर्न उत्पाद पर भी इसी अध्यादेश के तहत रोक लगायी गयी है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य भी तम्बाकू उत्पादों को नियंत्रित करना है और उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत सरकार 2025 तक तंबाकू प्रतिबंध पर अधिकतम नियंत्रण करने में सफल हो जायेगी। दुनिया के कई देशों में तम्बाकू पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
सत्या आजाद
जारी वार्ता
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