पार्लियामेंटPosted at: Feb 8 2017 4:21PM संसद की स्थायी समिति ने शिक्षकों की जिम्मेदारी तय करने की मांग कीनयी दिल्ली 08 फरवरी (वार्ता) मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने विश्वविद्यालयों तथा कालेजों में शिक्षा की गुणवत्ता पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है और इस बात पर खेद व्यक्त किया है कि इन संस्थानों में लंबे समय से पद रिक्त पडे है। समित ने शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों की तरह शिक्षकों की जिम्मेदार भी तय करने की एक प्रणाली विकसित करने की सिफारिश की है। भारतीय जनता पार्टी के डा0 सत्य नारायण जटिया की अध्यक्षता वाली समित ने आज संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि न केवल केन्द्रीय विश्वविद्यालयों बल्कि आईआईटी, आईआईएम एवं एनआईटी जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखना एक चुनौती बनी हुई है क्योंकि इन संस्थानों में शिक्षकों की काफी कमी है और अच्छे तथा स्तरीय शिक्षक नहीं है। समिति ने कहा है कि या तो अच्छे छात्र अध्यापन की तरफ आकर्षित नहीं होते या फिर नियुक्ति की प्रक्रिया इतनी लंबी है और उससे इतनी औपचारिकताएं है कि शिक्षक बनना आसान नहीं है। समिति ने कहा है कि शिक्षण संस्थानों में ऐसी प्रणाली भी विकसित नहीं है कि शिक्षकों की जवाबदेही तय हो और उसके प्रदर्शन का आकलन किया जा सके। विदेशों में आज एक गणमान्य हस्तियां शिक्षकों का आकलन करती है उसी तरह की व्यवस्था हमारे यहां भी होनी चाहिए। समिति ने शिक्षक संस्थानों में शोध एवं अनुसंधान के लिए और अधिक फंडिंग की व्यवस्था करने की सिफारिश की है। साथ ही वंचित वर्ग के छात्रों को समुचित कोचिंग का अवसर उपलब्ध कराने की भी सिफारिश की है। अरविंद राम (वार्ता)