पार्लियामेंटPosted at: Feb 8 2017 4:19PM मजदूरों के वेतन के डिजिटल भुगतान अव्यवहारिक : विपक्षनयी दिल्ली 08 फरवरी (वार्ता) राज्यसभा में आज विपक्षी सदस्यों ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए लाए गए वेतनमान भुगतान (संशोधन) विधेयक को मजदूरों के लिए अव्यवहारिक बताते हुए सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की। कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री, तृणमूल की डोला सेन, जद(यू) के अनिल कुमार सहनी और सपा के संजय सेठ तथा माकपा के टी.के. रंगराजन ने 28 दिसम्बर को लाए गए अध्यादेश सदन में पेश विधेयक पर चर्चा के दौरान यह मांग की जबकि भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने इस विधेयक का समर्थन किया। लोकसभा इस विधेयक को कल पारित कर चुकी है। श्री मिस्त्री ने कहा कि देश में 90 प्रतिशत से अधिक मजदूर असंगठित क्षेत्र से है और उनका शोषण होता है तथा उनके लिए जो कानून बनाया जाता है, वह लागू नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि मनरेगा तथा निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को कभी समय पर वेतन नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि चेक या डिजिटल भुगतान से मजदूरों को बहुत दिक्कत होगी इसलिए यह व्यवहारिक नहीं है। सपा के संजय सेठ ने भी कहा कि दिनभर काम करने के बाद मजदूरों के लिए यह संभव नहीं है कि वह बैंक की लाइन में लगकर अपने पैसे निकाले। नोटबंदी के दौरान यह समस्या अधिक देखी गयी। अधिकांश मजदूरों के खाते नहीं होते। इसलिए इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेज दिया जाना चाहिए। तृणमूल की डोला सेन ने कहा कि 50 प्रतिशत से अधिक कामगारों के बैंक खाते नहीं है। इसी तरह 80प्रतिशत महिलाओं के भी बैंक खाते नही है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक भी कम है। इसलिए डिजिटल भुगतान या चेक से भुगतान व्यावहारिक नहीं है। जद(यू) के अनिल कुमार सहनी ने कहा कि इस विधेयक में यह व्यवस्था होनी चाहिए कि जो कामगार अपना वेतन नगद में लेना चाहता है, उसे नगद में ही दिया जाए। माकपा के टी.के. रंगराजन ने कहा कि सरकार द्वारा अध्यादेश लाना ही गलत था। यह संविधान के नियमों का उल्लंघन है। सरकार इस पर पुनर्विचार करे। वाई एस आर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने कहा कि बैंकिंग व्यवस्था का आधारभूत ढांचा तैयार किए बिना इस तरह का अध्यादेश नहीं लाया जाना चाहिए था। अरविंद राम जारी(वार्ता)