पार्लियामेंटPosted at: Apr 11 2017 3:35PM पत्रकारों की सुरक्षा के लिए अलग कानून की जरूरत नहीं: सरकार
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (वार्ता) सरकार ने आज स्वीकार किया कि पत्रकारों के साथ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही है लेकिन देश में इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है इसलिए पत्रकारों या अन्य किसी पेशे के लोगों की सुरक्षा के लिए अलग कानून बनाने की जरूरत नहीं है। गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि पत्रकारों पर हो रहे हमलों का आंकड़ा पहले नहीं रखा जाता था लेकिन उनकी सरकार ने 2014 से इस तरह के आंकड़े रखने का काम शुरू किया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि देश में पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं लेकिन देश का कानून सभी नागरिकों के खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने में सक्षम है इसलिए पत्रकारों या अन्य किसी पेशे के लोगों की सुरक्षा के लिए अलग से सुरक्षा कानून बनाने की जरूरत नहीं है। उनका कहना था कि सुरक्षा का मामला राज्यों का विषय है लेकिन मौजूदा कानून ही पत्रकारों सहित सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त है। सरकार ने बताया कि पिछले तीन साल में केंद्रशासित प्रदेशों में पत्रकारों पर हमलों का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है जबकि 2014 में 114 मामले दर्ज किए गए और 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि 2015 में 28 मामले दर्ज किए गए और 41 लोग गिरफ्तार हुए हैं। अभिनव, यामिनी वार्ता