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रोज़गार की स्थिति पर देश में नियमित सर्वेक्षण करायेगी सरकार

नयी दिल्ली 11 अप्रैल (वार्ता) सरकार ने आज कहा कि वह इस साल से देश में रोज़गार एवं बेरोज़गारी की स्थिति को जानने के लिये हर तिमाही में नियमित रूप से सर्वेक्षण करायेगी और सालाना आंकड़ों को सार्वजनिक करेगी।
केन्द्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने यहां सांख्यिकीय संग्रहण (संशोधन) विधेयक 2017 पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए यह घोषणा की। सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। श्री सदानंद गौड़ा ने चर्चा का उत्तर देते हुए कुछ सदस्यों की उस आशंका को निराधार बताया कि सरकार जम्मू कश्मीर में धारा 370 को कमज़ोर करना चाहती है। उन्होंने कहा कि विकास के लिये जम्मू कश्मीर के व्यापक हित में जो प्रावधान किये गये हैं, उनसे धारा 370 कतई कमज़ोर नहीं होती है। राज्य विधानसभा से इस पर विचार मांगे गये थे लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आने पर बाध्य होकर जम्मू कश्मीर के बारे में दिशानिर्देश तय किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि सांख्यिकीय संग्रहण को लेकर राज्यों के कानून चलेंगे लेकिन इस संशोधन के माध्यम से केन्द्रीय कानून एवं राज्यों के कानून के बीच निर्वात को भरने का प्रयास किया गया है। उन्हाेंने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन अनेक प्रकार के सर्वेक्षण करता है। घरों में रहने वालों की आर्थिक स्थिति, खेती की स्थिति, फसल बुवाई, उत्पादन आदि के आंकड़े लिये जाते हैं जिससे संसाधन का उचित आवंटन हो पाता है।
उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने देश में रोज़गार की स्थिति को लेकर नियमित सर्वेक्षण का सुझाव दिया है तो वह घोषणा करते हैं कि वर्ष 2017-18 से नियमित रूप से हर तिमाही में रोज़गार और बेरोज़गारी पर सर्वेक्षण करायेगी। आंकड़ों की सुरक्षा को लेकर संदेहों का निवारण करते हुए श्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि विधेयक के विभिन्न प्रावधानों में आंकड़ों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की गयी है।
बाद में सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया।
इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार इस कानून के माध्यम से धारा 370 का उल्लंघन कर रही है। सरकार की धारा 370 को हटाने की नीयत के कारण ही जम्मू कश्मीर के उपचुनावों में इतनी कम वोटिंग हुई है और चुनाव आयोग को चुनाव टालना पड़ा है। उन्होंने सरकार के रुख को परपीड़क करार दिया।
रिवोल्यूशनरी रिपब्लिकन पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि जम्मू कश्मीर सांख्यिकीय संग्रहण कानून 2010 के तहत विधानसभा के पास ही केन्द्रीय कानून एवं राज्य के कानून के बीच निर्वात को भरने का अधिकार है लेकिन केन्द्र सरकार इस अधिकार का उल्लंघन करके हड़पने का प्रयास कर रही है। यह सीधे तौर पर धारा 370 का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया कि सांख्यिकीय संग्रहण कानून 2008 की धारा 91 को संशोधित करके सरकार आंकड़ों की सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है। इस संशोधन आंकड़ों का किसी अन्य उद्देश्य से उपयोग किया जा सकता है।
जम्मू कश्मीर में लेह से भाजपा के सदस्य थूपस्तान छेरिंग ने मांग की कि धारा 370 को हटा दिया जाना चाहिये। जम्मू कश्मीर राज्य के तीन भाग हैं लेकिन सारा ध्यान कश्मीर घाटी पर दिया जाता है। लद्दाख एवं जम्मू की अनदेखी की जाती है। उन्होंने मांग की कि जम्मू एवं लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिये।
सचिन
वार्ता
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